उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें बॉडी के अंदर ब्लड का प्रेशर सामान्य से अधिक हो जाता है और यह हृदय तथा अन्य अंगों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है। अनियंत्रित रक्तचाप से हृदय रोग, किडनी की समस्याएं, स्ट्रोक इत्यादि जैसे कई हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।
क्यों कहते हैं ब्लड प्रेशर को ‘साइलेंट किलर’?
ब्लड प्रेशर को ‘साइलेंट किलर’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण अक्सर दिखाई नहीं देते हैं, फिर भी यह शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। अधिकतर लोगों को यह पता ही नहीं होता कि उनका रक्तचाप बढ़ा हुआ है क्योंकि इसके स्पष्ट लक्षण नहीं होते। हमारे देश में हर 3 में से 1 व्यक्ति को ब्लड-प्रेशर की समस्या है और उनमें से ज़्यादातर लोग इस बात से पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं। उच्च रक्तचाप लंबे समय तक बिना किसी लक्षण के आपके हृदय, किडनी और धमनियों पर दबाव डालता रहता है।
यह धीरे-धीरे हृदयघात (हार्ट अटैक), स्ट्रोक, और किडनी फेलियर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। चूंकि लोग इस स्थिति को गंभीरता से नहीं लेते और इसके लक्षण नहीं दिखते, इसका समय पर उपचार नहीं हो पाता, जिससे इसके प्रभाव और भी खतरनाक हो जाते हैं।
इस 'साइलेंट किलर' के कारण रक्त की धमनियां संकरी हो सकती हैं, जिससे रक्त संचार में बाधा उत्पन्न होती है और इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
इसके अलावा, उच्च रक्तचाप से किडनी की कार्यक्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। किडनी में रक्त संचार की समस्या से टॉक्सिक का सही से निष्कासन नहीं हो पाता, जिससे किडनी फेलियर हो सकता है।
अनियंत्रित उच्च रक्तचाप के कारण आँखों की रक्त वाहिनियों को भी नुकसान पहुंच सकता है, जिससे दृष्टि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। कुल मिलाकर, उच्च रक्तचाप एक "साइलेंट किलर" है, जो धीरे-धीरे शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करता है। इसीलिए, इसे नियंत्रित रखना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है।
ब्लड प्रेशर की दवाएँ जीवन रक्षक तो हो सकती हैं, लेकिन इनके अपने साइड इफ़ेक्ट्स होते हैं। दवाओं के प्रकार और व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार ये साइड इफ़ेक्ट्स भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। ब्लड प्रेशर की अधिकांश दवाएँ केवल लक्षणों का 'इलाज' करती हैं, बीमारी के मूल कारणों का नहीं। और किसी बीमारी को ठीक करने के लिए, यह ज़रूरी है कि उसके रूट कॉज़ या मूल-कारणों पर काम किया जाए।
हालांकि दवाओं से रक्तचाप नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन प्राकृतिक उपाय अपनाकर भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है और साथ ही काफी हद तक उनके मूल कारणों को भी ऐड्रेस किया जा सकता है ताकि नैचुरल तरीक़े से ब्लड-प्रेशर सामान्य रहे। आइए जानते हैं कुछ प्रभावी नैचुरल तरीके, जो उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकते हैं।
ब्लड-प्रेशर को नैचुरल तरीके से कम करने के 7 आसान तरीक़े
1. स्वस्थ आहार का पालन करें
स्वस्थ आहार रक्तचाप को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए अपने भोजन में पौष्टिक तत्वों का समावेश करें और जंक फूड, ज्यादा नमक और तैलीय पदार्थों से दूर रहें।
- फल और सब्जियां: सबूत फल और सब्जियाँ शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती हैं। इनमें फाइबर का उच्च स्तर होता है और साथ ही ये मैग्नीशियम व कैल्शियम, एंटीऑक्सिडेंट्स व विटामिन्स आदि से भरपूर होते हैं। इनका नियमित सेवन हृदय और धमनियों को स्वस्थ बनाए रखता है और रक्तचाप को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभाता है।
- पोटैशियम से भरपूर डायट : पोटेशियम का इंटेक बॉडी में सोडियम के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है और रक्तचाप को कम करता है। पोटैशियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे केला, टमाटर, पालक, नारियल पानी आदि रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक हैं।
- साबुत अनाज: ब्राउन राइस, ओट्स, और बाजरा जैसे साबुत अनाज का सेवन करें।
- दूध और डेयरी उत्पाद: कम फैट वाले दूध और दही का सेवन लाभकारी हो सकता है।
- कम नमक का सेवन: अधिक नमक का सेवन रक्तचाप को बढ़ा सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही खाएं। प्रोसेस्ड और फास्ट फूड को ना कहें क्योंकि इनमें अक्सर सोडियम बहुत अधिक होता है।
- हाइड्रेटेड रहें: भरपूर पानी पीने से आपके शरीर में सोडियम के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद मिलती है और समग्र हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
2. नियमित व्यायाम करें
नियमित व्यायाम न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है।
- योग और प्राणायाम: योग और सांस लेने के व्यायाम रक्तचाप को स्थिर रखने में मददगार होते हैं। खासकर प्राणायाम, जैसे अनुलोम-विलोम और कपालभाति, से रक्त संचार बेहतर होता है।
- कार्डियो एक्सरसाइज: तेज चलना, दौड़ना, साइकिलिंग, या तैराकी जैसे कार्डियो वर्कआउट से हृदय की सेहत में सुधार होता है और रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है।
- प्रतिदिन 30 मिनट का समय निकालें: कोशिश करें कि हर दिन 30 मिनट का समय व्यायाम के लिए अवश्य निकालें।
3. तनाव को कम करें
तनाव, रक्तचाप में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण होता है। यदि आप अपने जीवन से तनाव को कम कर सकते हैं, तो इससे रक्तचाप नियंत्रित हो सकता है।
- ध्यान (मेडिटेशन): ध्यान से मानसिक शांति मिलती है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।
- हॉबी या शौक: गार्डेनिंग, पेंटिंग, संगीत सुनना, पढ़ना आदि शौक अपनाएं, जो मानसिक तनाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
- टाइम मैनेजमेंट: वर्क-प्रेशर कम करें व अपने काम का समय अच्छे से प्रबंधित करें ताकि अनावश्यक तनाव न हो।
4. वजन को नियंत्रित रखें
अधिक वजन रक्तचाप बढ़ाने में योगदान दे सकता है। वजन नियंत्रित करने के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम बेहद जरूरी है।
- बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स): अपने बीएमआई को सामान्य स्तर पर रखें, जो 18.5 से 24.9 के बीच होता है।
- पेट की चर्बी को कम करें: पेट के आसपास की चर्बी को कम करने से रक्तचाप पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
5. धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करें
धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन रक्तचाप को बढ़ाने के मुख्य कारणों में से हैं। इनसे दूरी बनाकर आप न केवल रक्तचाप को नियंत्रित कर सकते हैं बल्कि अन्य बीमारियों से भी बच सकते हैं।
6. अच्छी नींद लें
जो लोग छह घंटे या उससे कम सोते हैं उनका रक्तचाप अधिक बढ़ सकता है। यदि आपको पहले से ही उच्च रक्तचाप है, तो अच्छी नींद न लेने से आपका ब्लडप्रेशर और भी बिगड़ सकता है।
इसका कारण है कि अच्छी नींद से नींद शरीर को उन आवश्यक हार्मोन्स को नियंत्रित करने में मदद मिलती है जो हमारे बॉडी के स्ट्रेस और मेटाबोलिज़्म को नियंत्रित करते हैं। पर्याप्त और क्वालिटी स्लीप न केवल आपके मेंटल हेल्थ को प्रभावित करती है बल्कि ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रित करती है।
- रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें: अच्छी नींद से शरीर को आराम मिलता है और तनाव कम होता है।
- अपने सर्केडियन रिदम का सम्मान करें और उसका ख़्याल रखें। क्योंकि गलत सर्कैडियन रिदम के कारण बेडटाइम में सोना कठिन हो सकता है।
- स्लीप साइकल का पालन करें: रोजाना एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें।
7. नैचुरल हर्ब्स व सप्पलेमेंट्स लें
बात ब्लडप्रेशर के बचाव की हो या ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखने की – कुछ ख़ास नैचुरल हर्ब्स जैसे नोनी, स्पाईरुलिना, ब्लैकसीड, तुलसी, कर्क्यूमिन आदि का सेवन बेहद फ़ायदेमंद होता है। और इन्हें लेने का सबसे किफ़ायती और आसान तरीक़ा है – इन्हें सप्पलेमेंट के रूप में लेना।
एंटीऑक्सिडेंट्स व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के अलावा नोनी में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ाते हैं। नाइट्रिक ऑक्साइड बॉडी में धमनियों को चौड़ा करने में मदद करता है, जिससे रक्त का प्रवाह बेहतर होता है और ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में मदद मिलती है। ‘गोयंग का नोनी प्रीमीयम’ एक शानदार विकल्प है जो एक लीटर के जूस कॉन्सेंट्रेट फ़ॉर्म में उपलब्ध है।
स्पाइरुलिना में फाइकोसायनिन जैसे भरपूर एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो बॉडी में इंफ़्लेमेशन को कम करने में मदद करते हैं। स्पाइरुलिना नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है और साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी धमनियों को स्वस्थ रखते हैं और ब्लडप्रेशर नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। प्युरेस्ट स्पाइरुलिना सप्पलेमेंट का एक बढ़िया विकल्प है – ‘गोयंग का स्पाइरुलिना कैपस्युल’।
ब्लैकसीड में थायमोक्विनोन नामक एक ऐक्टिव कंपाउंड पाया जाता है, जो बॉडी में धमनियों को चौड़ा करके व रक्तसंचार को सुधारकर ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है। पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे तत्वों से लैस इस ब्लैकसीड में ज़बरदस्त एंटीऑक्सिडेंट व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। हर दिन आप इसे बड़े आसानी से ले सकते हैं – ‘गोयंग के ब्लैकसीड सॉफ़्टजेल कैप्स्युल’ के रूप में।
तुलसी ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है। दरसल, तुलसी में यूजेनॉल जैसे एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं और साथ ही तुलसी को एक प्राकृतिक "एडाप्टोजेन" माना जाता है, जो शरीर में तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। चूंकि तनाव और चिंता उच्च रक्तचाप के मुख्य कारणों में से हैं, इसलिए तुलसी के सेवन से मानसिक शांति मिलती है और रक्तचाप सामान्य बनाए रखने में मदद होती है। इस हर दिन लेने का सबसे आसान तरीक़ा है ‘गोयंग का फ़ाइटोलाइफ़ तुलसी ड्रॉप्स’।
करक्यूमिन आपके रक्त वाहिकाओं के फैलाव को बढ़ाकर बॉडी में ब्लड सर्क्यूलेशन को बढ़ा सकती है और रक्तचाप को नियंत्रित करती है। कर्क्यूमिन के लिए आप ले सकते हैं उच्च-गुणवत्ता और प्युरिटी वाला ‘गोयंग का कर्क्यूमिन कैपस्युल’ या ‘क्योरक्यूमाइन ड्राप्स’।
इस प्रकार प्राकृतिक तरीके अपनाकर अपने ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना संभव है। यदि आपके रक्तचाप में अधिक उतार-चढ़ाव हो रहा है, तो आप एक बार क्लिंजिंग थेरापी अवश्य करें और एक्सपर्ट थेरापिस्ट के सुझाए हर्ब्स सुप्पलेमेट्स का इस्तेमाल करें या फिर अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
ध्यान रहे, ब्लडप्रेशर एक लाइफ़स्टाइल बीमारी है और इसीलिए आप स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन और नैचुरल सप्लेमेंट्स को अपनाकर इससे बच सकते हैं या इसे बिल्कुल नियंत्रण में रख सकते हैं।
Written By : Dr Rajesh Singh