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क्यों है नवरात्रि का उपवास इतना चमत्कारी?

क्यों है नवरात्रि का उपवास इतना चमत्कारी?

सबसे अधिक धूम-धाम से मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों में से एक है – नवरात्रि। दस दिनों तक चलने वाला यह त्योहार सिर्फ एक धार्मिक आयोजन से कहीं अधिक है। देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा के अलावा, इन नौ दिनों का एक अपना महत्व है।

ज़्यादातर भक्तों के लिए यह उपवास का समय है। नवरात्रि के दौरान उपवास करना पारंपरिक रूप से एक आध्यात्मिक अभ्यास है। आधुनिक विज्ञान उपवास के सदियों पुराने ज्ञान का समर्थन करता है और हाल ही में हुए अध्ययन के अनुसार उपवास या फ़ास्टिंग हमारे शरीर और दिमाग पर बेहद सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

उपवास एक प्राचीन प्रथा है जो विभिन्न संस्कृतियों में धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उपवास के कई स्वास्थ्य लाभ भी हो सकते हैं? विशेष रूप से, 9 दिनों का उपवास आपके स्वास्थ्य के लिए कई सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इन नौ दिनों के उपवास के दौरान लोगों के जीवनशैली और खानपान में काफी बदलाव होते हैं।

इस कॉम्पैक्ट ब्लॉग में आइए जानते है - नवरात्रि के दौरान उपवास के 7 साइन्स-बैक्ट हेल्थ बेनेफ़िट्स

1. वेट लॉस व फ़ैट रिडक्शन में मदद
जब हम उपवास करते हैं, तो शरीर ऊर्जा के लिए संग्रहित वसा का उपयोग करना शुरू कर देता है। इस प्रक्रिया में, मेटाबॉलिज्म सक्रिय होता है, जिससे कैलोरी बर्न होने की दर बढ़ जाती है। इसके अलावा, उपवास के दौरान इंसुलिन स्तर कम होता है, जिससे शरीर वसा को अधिक प्रभावी ढंग से तोड़ता है। नियमित उपवास से भूख नियंत्रित होती है और स्वस्थ खाने की आदतें विकसित होती हैं। इस प्रकार, 9 दिनों का उपवास वजन और चर्बी कम करने के लिए एक बहुत ही कारगर उपाय हो सकता है।

2. मेटाबॉलिज्म में सुधार
उपवास हमारे शरीर की ऊर्जा के उपयोग करने की क्षमता को बेहतर बनाता है। उपवास मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जब हम उपवास करते हैं, तो शरीर ऊर्जा के लिए वसा का उपयोग करने लगता है, जिससे मेटाबॉलिज्म सक्रिय होता है। इसके अलावा, उपवास के दौरान इंसुलिन स्तर कम होता है, जो शरीर को अधिक कुशलता से वसा को जलाने में मदद करता है। साथ ही, उपवास से सेलुलर मरम्मत प्रक्रिया भी सक्रिय होती है, जिससे नई कोशिकाएँ बनती हैं। इस प्रकार मेटाबॉलिज्म को तेज करने और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने के लिए - 9 दिनों का उपवास एक प्रभावी उपाय हो सकता है।

3. इंफ़्लेमेशन में कमी
2 दिन या उससे ज़्यादा का उपवास बॉडी के इंफ़्लेमेशन को कम करने में महत्वपूर्ण मदद कर सकता है। जब हम उपवास करते हैं, तो शरीर में इंफ़्लेमेशन के कारण बनने वाले पदार्थों का उत्पादन कम होता है। दरअसल इस दौरान, हमारा शरीर खुद को ठीक करने की प्रक्रिया में जुट जाता है, जिससे सेलुलर मरम्मत होती है।
उपवास के दौरान, ऑक्सीडेटिव तनाव भी कम होता है, जो इंफ़्लेमेशन के लिए एक बड़ा फ़ैक्टर होता है। इसके अलावा, उपवास से शरीर की इम्यून सिस्टम गतिविधियाँ संतुलित होती हैं, जिससे कारण भी इंफ़्लेमेशन को कम करने में मदद मिलती है। शोध से यह भी पता चला है कि नियमित उपवास करने से इंफ़्लेमेशन से जुड़ी बीमारियों, जैसे हृदय रोग और मधुमेह, का जोखिम कम होता है।

4. बॉडी डीटॉक्सिफ़िकेशन में सहायक
उपवास एक तरीक़े से हॉलिस्टिक डीटॉक्सिफ़िकेशन की भूमिका निभाता है। जब हम उपवास करते हैं, तो हमारे शरीर को विश्राम मिलता है, जिससे यह स्वाभाविक रूप से खुद को साफ करने की प्रक्रिया में जुट जाता है। उपवास के दौरान, शरीर जमा टॉक्सिन्स और अपशिष्ट पदार्थों को निकालने के लिए अपने कुछ ख़ास अंगों - जैसे लिवर और किडनी का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर पाता है।
इस समय, शरीर फ़ैट को जलाकर ऊर्जा उत्पन्न करता है, जिससे फ़ैट में जमा टॉक्सिन्स भी भी निकलते हैं। इसके अलावा, उपवास से पूरे पाचन तंत्र को भी आराम मिलता है, जिससे उसमें संचित टॉक्सिन्स को निकालने में अच्छी-ख़ासी मदद मिलती है।

5. मानसिक स्पष्टता
धार्मिक रूप से देखा जाए तो अक्सर उपवास के दौरान, लोग मानसिक स्पष्टता और ध्यान में वृद्धि का अनुभव करते हैं। और साइन्स कहता है कि उपवास से सोचने और निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है और उपवास एक तरह से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
दरअसल जब हम उपवास करते हैं, तो शरीर में केटोन bodies का निर्माण होता है, जो ऊर्जा का एक प्रभावी स्रोत है। ये केटोन मस्तिष्क के लिए लाभकारी होते हैं और मानसिक स्पष्टता बढ़ाते हैं। अब चूँकि उपवास से ऑक्सीडेटिव तनाव कम होता है तो उससे मस्तिष्क की कोशिकाएँ सुरक्षित रहती हैं।
इसके अलावा, उपवास न्यूरोट्रॉफिक कारक (BDNF) के उत्पादन को बढ़ाता है, जो न्यूरॉन्स के विकास और मरम्मत में मदद करता है। कई अध्ययन दर्शाते हैं कि नियमित उपवास ध्यान केंद्रित करने की हमारी क्षमता और याददाश्त में सुधार होता है।

6. बेहतर हृदय स्वास्थ्य
उपवास हृदय स्वास्थ्य में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जब हम उपवास करते हैं, तो शरीर का इंसुलिन स्तर कम होता है, जिससे रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है। इससे हृदय रोग का जोखिम कम होता है। उपवास इंफ़्लेमेशन को कम करने में भी मदद करता है, जो हार्ट हेल्थ के लिए ज़रूरी है।
जिन लोगों को हाई बीपी की समस्या है, उन्हें नवरात्र में व्रत जरूर रखना चाहिए। इस दौरान खाने में नमक की मात्रा नहीं होती है और लोग ज्यादा फ्रूट्स खाते हैं, जिससे बीपी का स्तर सामान्य हो सकता है।
इसके अलावा, उपवास से वजन घटाने में सहायता मिलती है, जिससे उच्च रक्तचाप और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा कम होता है। फ़ास्टिंग करने से बेनेफ़िशियल एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। इस प्रकार हर साल या छह महीने में यदि एक बार 2 दिन या उससे अधिक का उपवास कर लिया जाए तो वह हार्ट को हेल्दी बनाए रखने के लिए एक के लिए प्रभावी उपाय है।

7. हेल्दी व ग्लोइंग स्किन
हैरानी की बात यह है कि उपवास हमारे त्वचा के स्वास्थ्य को भी बढ़ा सकता है और उसमें एक ग्लो या निखार ला सकता है। उपवास के दौरान हमारा बॉडी पूरी तरह से डीटॉक्स प्रोसेस में होता है और जमा हुए टॉक्सिन्स को फ़्लश-आउट करता है जिससे कील-मुँहासे और अन्य त्वचा समस्याओं से निजात मिलता है। साथ ही, उपवास के दौरान एंटी-ऑक्सीडेंट गतिविधि में वृद्धि होती है और सेलुलर मरम्मत प्रक्रिया सक्रिय होती है, जो त्वचा की कोशिकाओं को रेज़्यूवेनेट करती है।
आम तौर पर उपवास के दौरान हम पर्याप्त जल ग्रहण करते हैं जो एक तरह से हमारे त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है, जिससे त्वचा में निखार आती है। नियमित उपवास से रक्त प्रवाह में भी सुधार होता है। इस प्रकार, उपवास आपकी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बना सकता है।

कुछ अन्य फ़ायदों की बात करें तो – उपवास से आत्म-नियंत्रण में वृद्धि होती है। उपवास के दौरान, व्यक्ति अपनी इच्छाओं और आदतों पर नियंत्रण करना सीखता है। यह आत्म-नियंत्रण और अनुशासन को बढ़ाता है। साथ ही यह व्यक्ति को आत्म-प्रतिबिंब और ध्यान करने का अवसर प्रदान करता है जो आध्यात्मिक और मानसिक विकास के लिए बेहद उपयोगी है। कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि उपवास हमारे उम्र बढ़ाने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है और एक तरह से एंटी-एजिंग में सीधे मदद करता है । यही कारण है ऋषि-मुनि, संत-महात्मा जैसे लोग जो अक्सर उपवास में होते है – उनमें ज़्यादा आत्म-नियंत्रण, आध्यात्मिक ओज होता है और वो लोग एंटी-एजिंग के भी प्रमाण होते हैं।

नवरात्रि के नौ दिनों में से आप सिर्फ़ तीन या चार दिनों का उपवास भी रखें तो भी आपको ज़बरदस्त फ़ायदे मिलेंगे। ध्यान सिर्फ़ इतना रखना है कि आपके उपवास का तरीक़ा सही होना चाहिए - क्योंकि उपवास के सही तरीकों का पालन करने से ही आप इन हेल्थ बेनेफ़िट्स का अधिकतम लाभ उठा पायेंगे। इसलिए उपवास के सही तरीकों और दिशा-निर्देश के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए।

स्वस्थ उपवास के लिए उपयोगी दिशानिर्देश:
👉 पानी पियें और हाइड्रेटेड रहें
👉 भोजन का छोटे-छोटे हिस्से में सेवन करें
👉 प्रत्येक दिन के लिए पालन करने योग्य भोजन योजना बनाएं
👉 लो-फ़ैट वाले खाद्य पदार्थ चुनें
👉 Starvation से बचें क्योंकि इससे कमजोरी, एनीमिया, थकावट और यहां तक कि माइग्रेन भी हो सकता है।
👉 हर रात पर्याप्त नींद लें
👉 अपना वर्कआउट न छोड़ें। कम तीव्रता वाले व्यायाम का चयन करें क्योंकि यह आपके मूड को बेहतर बनाने में मदद करेगा और यहां तक कि आपके शरीर में रक्त परिसंचरण में भी सुधार करेगा।
👉 तनाव कम करने के लिए प्रतिदिन विश्राम और ध्यान के लिए समय निकालें।

हालांकि, किसी भी प्रकार के उपवास से पहले अपने वेलनेस एडवाइज़र या चिकित्सक से सलाह लेना न भूलें। यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो उपवास न करें क्योंकि उपवास करने से रक्त शर्करा के स्तर में तेज गिरावट हो सकती है, जो अत्यधिक खतरनाक हो सकता है।

इस प्रकार, नवरात्रि उपवास सिर्फ एक धार्मिक अभ्यास नहीं है बल्कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है। जब हम उपवास करते हैं तो वह हमारे स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभकारी हो सकता है। 9 दिनों का उपवास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ पहुँचाता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी व्यक्ति को समृद्ध करता है।

Written by : Dr Rajesh Singh

 

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