आजकल, हार्मोनल असंतुलन की समस्या बहुत सामान्य हो गई है। महिलाओं में हार्मोन असंतुलन की समस्या काफी ज्यादा देखने को मिलती है, जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं.
क्या होता है ये हार्मोन
हार्मोन एक तरह के केमिकल होते हैं जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जाकर एक मेसेंजर यानी संदेशवाहक के रूप में काम करते हैं। हार्मोन का उत्पादन और स्त्राव हमारे एंडोक्राइन सिस्टम से होता है। ये ग्रंथियाँ हैं: अधिवृक्क, अंडाशय, पीनियल, पिट्यूटरी, हाइपोथैलेमस, थायरॉयड, पैराथायराइड और अग्न्याशय आइलेट्स। हार्मोन विभिन्न शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करते हैं। हार्मोन शरीर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, और उनका संतुलन हमारे स्वास्थ्य और वेल बीइंग के लिए आवश्यक है। ये विभिन्न प्रकार की जनन, स्तन, विकास और मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं में अहम भूमिका निभाते हैं। शरीर का तापमान, हृदय दर, चयापचय और भूख, प्रजनन चक्र और यौन कार्य, नींद चक्र, मनोदशा और तनाव का स्तर – ये सारा कुछ हार्मोन के द्वारा ही प्रबंधित या नियंत्रित होता है।
क्या है ये हार्मोनल असंतुलन?
हेल्दी रहने के लिए शरीर में हार्मोन का संतुलित होना बेहद जरूरी होता है। जब हार्मोन की मात्रा घटती या बढ़ जाती है तो इसे ही हार्मोनल इमबैलेंस कहते हैं। यह आमतौर पर मासिक धर्म के समय, गर्भावस्था, और मेनोपॉज़ के समय होता है। हार्मोनल असंतुलन के लक्षण में पीरियड्स के अनियमित होना, वजन का बढ़ना, मूड स्विंग्स, त्वचा समस्याएँ और गर्भाशय व ब्रैस्ट के संबंधित समस्याएँ शामिल हो सकती हैं।
8 वॉर्निंग संकेत कि आपको हार्मोनल असंतुलन हो सकता है
आज के दौर में, जहां हार्मोनल असंतुलन की समस्या ज़्यादातर लोगों के लिए सामान्य हो गई है – लोग अक्सर उसके संकेतों को समझ नहीं पाते और नजरअंदाज कर देते हैं। इसलिए, यहाँ हम आपको कुछ ऐसे संकेतों के बारे में बता रहे हैं जो आपके हार्मोनल इम्बैलेंस की ओर इशारा करते हैं।
1. अनियमित मासिक धर्म : अगर आपके मासिक धर्म की अवधि अनियमित है, या यह बहुत अधिक या बहुत कम हो रहा है, तो यह एक हार्मोनल संतुलन का संकेत हो सकता है।
2. वजन का अनियमित बढ़ना या घटना : हार्मोनल असंतुलन के कारण वजन का अचानक बढ़ना या घटना भी हो सकता है।
3. मूड स्विंग्स : अगर आप अचानक उदास, खुश या चिड़चिड़ापन का अनुभव कर रहे हैं, तो यह भी हार्मोनल असंतुलन का कारण हो सकता है।
4. बढ़ती त्वचा समस्याएं : अगर आपके चेहरे पर अधिक पिम्पल्स या एक्ने हो रहे हैं, या फिर बेवजह आपके स्किन पर स्पॉट्स बन रहे हैं तो यह भी हार्मोनल असंतुलन का लक्षण हो सकता है।
5. बालों की समस्याएं : अधिक गिरने या टूटने वाले बाल, सिरदर्द या बालों के बढ़ने की समस्या भी हार्मोनल असंतुलन के संकेत हो सकते हैं।
6. नींद की समस्या : हार्मोनल असंतुलन के कारण नींद की समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे कि इनसोम्निया (अनिद्रा)।
7. स्तन की समस्याएं : स्तनों में दर्द, सूजन या स्तन से रक्त स्राव होना भी हार्मोनल असंतुलन के संकेत हो सकते हैं।
8. पेट की समस्याएं : हार्मोनल असंतुलन के कारण अक्सर कब्ज बना रह सकता है या फिर पेट में दर्द, एसिडीटी, गैस या ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है।
अगर आपको ये सारे संकेत लगातार महसूस हो रहे हैं, तो शायद आपको हार्मोनल इम्बैलेंस की समस्या है जिसपर आपको तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। ध्यान रहे कि यह ज़रूरी नहीं है कि ये सारे लक्षण सिर्फ हार्मोनल असंतुलन के ही हों, ये किसी अन्य समस्या का संकेत भी हो सकते हैं।
हार्मोनल इंबैलेंस के लिए मेडिकल टेस्ट
हार्मोनल इंबैलेंस की पुष्टि करने और उससे उत्पन्न होने वाली जटिलताओं की जांच के लिए अलग-अलग तरीक़े टेस्ट होते हैं जैसे – थायराइड, एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और कोर्टिसोल के स्तर की जांच के लिए ब्लड टेस्ट। पैप स्मीयर का उपयोग असामान्य गांठ, सिस्ट या ट्यूमर की जांच के लिए किया जाएगा, जबकि अल्ट्रासाउंड का उपयोग गर्भाशय, ओवरी, थायरॉयड और पिट्यूटरी ग्रंथियों की छवियां प्राप्त करने के लिए किया जाएगा। यदि ट्यूमर का संदेह हो तो बायोप्सी की जाएगी, जबकि एमआरआई या एक्स-रे से हड्डी के नुकसान का पता लगाया जाएगा।
हार्मोनल असंतुलन 8 बड़े कारण
हार्मोनल असंतुलन के कई कारण हो सकते हैं। यहाँ हम जानेंगे हार्मोनल इम्बैलेंस के 8 बड़े कारण।
1. ग़लत खान-पान : हार्मोनल इंबैलेंस की एक बड़ी वजह है - खराब खानपान जैसे फ़ास्ट व जंक फ़ूड, प्रोसेस्ड फूड्स, रिफाइंड आटा यानि मैदा से बनी चीजें, ज्यादा शुगर वाले खाद्य या पेय पदार्थ, रिफाइंड ऑयल का ज्यादा इस्तेमाल, अल्कोहल का सेवन और स्मोकिंग जैसी चीजों का सेवन करना हार्मोन के स्तर पर बुरा असर डालता है। टॉक्सिक फ़ूड, केमिकल पेस्टिसायड रेसीड़यु, अंतःस्रावी-विघटनकारी रसायनों के सम्पर्क में आने से भी हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है।
2. पीरियड-कंट्रोल या बर्थ-कंट्रोल की गोलियाँ : ऐसी दवाएँ या गोलियाँ आपके शरीर में कृत्रिम एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की हाई डोज़ भर देती हैं, जिससे आपके प्राकृतिक हार्मोन का उत्पादन बंद हो जाता है, ओव्यूलेशन रुक जाता है और गर्भाशय की परत पतली हो जाती है। इससे एस्ट्रोजेन प्रभुत्व जैसे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।
3. ज्यादा स्ट्रेस लेना : महिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस की एक वजह स्ट्रेस भी हो सकता है। हार्मोन को संतुलित रखने के लिए स्ट्रेस से बचना बेहद जरूरी है, क्योंकि जब आप ज्यादा तनाव लेते हैं तो आपके शरीर में कार्टिसोल नामक हार्मोन का उत्पादन ज्यादा होने लगता है और यह आपको हार्मोनल इम्बैलेंस की ओर ले जाता है। परिणामस्वरूप आपको अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
4. स्टेरॉयड दवाओं का सेवन : आज के समय में लोग अक्सर कोई ना कोई दवा ले रहे होते हैं। यदि आप भी स्टेरॉयड या अन्य दवाओं का लगातार सेवन कर रहे हैं तो ऐसी सिचुएशन में भी हार्मोन स्तर असंतुलित होने की संभावना रहती है। हार्मोन थेरेपी भी एक ऐसा ही कारण है और इन सब पर ज़्यादातर आपका ध्यान नहीं जाता।
5. ग्रंथियों में ट्यूमर या सिस्ट : किसी ग्रंथि या अंग पर किसी भी प्रकार की वृद्धि जैसे ट्यूमर, एडेनोमा इत्यादि (चाहे वह कैंसरयुक्त हो या सौम्य) आपके अंतःस्रावी तंत्र को प्रभावित करते हैं और हार्मोन असंतुलन का कारण बनते हैं।
6. मोटापा या अधिक वजन होना : हार्मोन लेप्टिन व इंसुलिन, सेक्स हार्मोन और ग्रोथ हार्मोन हमारी भूख, मेटाबोलिज़्म और शरीर में फ़ैट डिस्ट्रिब्यूशन करते हैं। जो लोग मोटापे से ग्रस्त हैं उनमें इन हार्मोनों का स्तर असामान्य मेटाबोलिज़्म और शरीर में वसा के संचय को प्रोत्साहित करता है। बढ़ी हुई वसा की मात्रा हार्मोनल परिवर्तनों से जुड़ी होती है जो हाइपोथैलेमस व पिट्यूटरी के कार्य को बाधित कर सकती है
7. थायराइड की समस्याएं : आपके थायरॉइड से संबंधित समस्याएं जैसे हाइपोथायरायडिज्म, हाइपरथायरायडिज्म, हाइपरफंक्शनिंग थायराइड नोड्यूल और थायरॉयडिटिस आपके शरीर में थायराइड हार्मोन के स्तर में असंतुलन का कारण बनता है। यह असंतुलन मेटाबोलिक एक्टिविटी को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है जिससे आपको मोटापा व डाइबीटीज़ जैसी गम्भीर समस्यायें हो सकती हैं।
8. पॉली सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम या पीसीओएस : पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एण्ड्रोजन के असंतुलन के कारण होता है। और साथ ही पीसीओएस आपके हार्मोनल असंतुलन, अनियमित मासिक धर्म, अतिरिक्त एण्ड्रोजन स्तर और अंडाशय (ओवरी) में सिस्ट का कारण बन सकता है। यदि आपको पीसीओएस है, तो आपके अंडाशय एण्ड्रोजन नामक हार्मोन का असामान्य रूप से उच्च स्तर का उत्पादन करते हैं। इससे आपके प्रजनन हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं।
आपके हार्मोन को संतुलित करने के लिए 8 प्राकृतिक उपाय
हार्मोनल इमबैलेंस की समस्या प्राकृतिक तरीके से सही की जा सकती है। यहाँ हम कुछ प्राकृतिक उपायों के बारे में चर्चा करेंगे जो हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।
1. पौष्टिक आहार : सही प्रकार का आहार खाना हार्मोनल स्तर को संतुलित रखने में मदद कर सकता है। अधिक से अधिक हरी सब्जियां, प्रोटीन युक्त आहार और फलों का सेवन करना चाहिए। रोजाना संतुलित आहार लेने से हार्मोनल समस्याएं दूर होती हैं। शक्कर, तेल और प्रॉसेस्ड फ़ूड की मात्रा को कम करके स्वस्थ आहार लेना भी उपयुक्त होता है।
2. नियमित व्यायाम : योग, प्राणायाम, और व्यायाम हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। नियमित व्यायाम करने से तनाव कम होता है और शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है।
3. प्राकृतिक क्लिंजिंग थेरापी : डीटॉक्स आपके शरीर के हार्मोन को रीसेट करने मदद करता है। डॉ पीयूष सक्सेना के सुझाए क्लिंजिंग थेरापी से भी आप हार्मोनल असंतुलन से निजात पा सकते हैं और जीवन भर इससे बचे भी रह सकते हैं। लिवर क्लिंजिंग व गायनेक क्लिंजिंग इसके लिए काफी असरदार है।
4. अच्छी नींद : समय पर नींद लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है। नींद की कमी हार्मोन्स को असंतुलित कर सकती है और तनाव को बढ़ा सकती है। इसलिए, नियमित नींद लेना बहुत जरूरी है।
5. तनाव प्रबंधन : तनाव को नियंत्रित करना भी हार्मोनल संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है। योग, मेडिटेशन और ध्यान जैसी प्राकृतिक तकनीकें तनाव को कम करने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा अरोमा थेरेपी, बॉथ थेरेपी, सिंगिंग, गार्डेनिंग, म्यूजिक सुनना, आसमान की तरफ देखना, समंदर या नदी किनारे बैठने जैसी एक्टिविटी से भी आपको हार्मोनल असंतुलन की समस्या से उबरने में मदद मिलती है।
6. अनियमितता से बचें : अनियमित जीवनशैली हार्मोनल असंतुलन का मुख्य कारण हो सकती है। इसलिए, एक नियमित और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना बहुत महत्वपूर्ण है।
7. हर्ब्स या नैचुरल सप्पलेमेंट्स
कुछ चुने हुए हर्ब्स या ख़ास जड़ी-बूटी इसमें काफ़ी बेहतर परिणाम देता है। आप नैचुरल सप्पलेमेंट्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जो हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में काफ़ी कारगर होते हैं।
8. वेट मैनेजमेंट
स्वस्थ वजन बनाए रखना आपके हार्मोनल-संतुलन के लिए ज़रूरी है। हार्मोनल असंतुलन के कारण वजन बढ़ता है और बढ़ा हुआ वजन आपके हार्मोनल इंबैलेंस का कारण बनता है। इसलिए अपने वजन को कंट्रोल में रखिए - हार्मोन रहेंगे बैलेंस।
हार्मोन-संतुलन के लिए टॉप 8 हर्ब्स
हार्मोन के स्तर को संतुलित करने के लिए हर्ब्स का उपयोग सबसे प्रभावी और सबसे सुरक्षित और है। हार्मोन्स को संतुलित रखने वाले हर्ब्स की सूची काफ़ी लम्बी है। हम यहाँ टॉप 8 हर्ब्स की चर्चा करेंगे।
1. शतावरी : शतावरी एक एडाप्टोजेनिक हर्ब है जो प्लांट-बेस्ड एस्ट्रोजेन का एक समृद्ध स्रोत है जो हार्मोन को विनियमित करने और समग्र वेलनेस और ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करती है।
हार्मोन संतुलन के लिए शतावरी को सदियों से जाना जाता है। यह प्रोलैक्टिन नामक हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाती है। शतावरी का उपयोग पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) और बांझपन जैसी हार्मोन असंतुलन से संबंधित स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है।
2. अशोका : आयुर्वेद में अशोका को महिला हार्मोनल असंतुलन के लिए सबसे प्रभावी हर्ब्स माना गया है। यह महिला विकारों के लिए या पीरियड्स से जुड़ी हर समस्या से राहत पाने का आसान उपाय है। यह बिना किसे साइड इफ़ेक्ट के हार्मोनल स्तर को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे महिला-स्वास्थ्य अधिक प्रबंधनीय हो जाता है।
3. चिकनी सुपारी : यह न केवल हार्मोनल असंतुलन को ठीक करता है बल्कि महिलाओं को अत्यधिक स्वास्थ्य लाभ भी देता है। यह स्ट्रेस, चिड़चिड़ापन, सुस्ती और अन्य पीएमएस लक्षणों का ख्याल रखता है। यह खून को साफ करता है और नये खून के निर्माण में मदद करता है। यह ल्यूकोरिया में लाभकारी है। मासिक धर्म की अनियमितता को नियमित करता है। कमर दर्द, आंखों के नीचे काले धब्बे और पुराने सिरदर्द को दूर करता है।
4. गुडुची : गुडुची हार्मोनल फ़्लक्चूएशन या उतार-चढ़ाव को सामान्य करने में मदद करता है। यह मासिक धर्म चक्र को नियमित करने और प्रजनन दर को बढ़ाने में काफ़ी कारगर होता है। बिना किसी दुष्प्रभाव के रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज़ से सम्बंधित लक्षणों से राहत दिलाने में गुडुची काफ़ी उपयोगी है। इसमें वात संतुलन गुण होता है जिसके कारण यह मानसिक तनाव या चिंता को कम करने में मदद करता है
5. गोखरू : गोक्षुरा या गोखरू महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है क्योंकि यह हार्मोनल असंतुलन को कम करने में मदद करता है और मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा जो महिलाएं पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) से पीड़ित हैं, उन्हें रोजाना गोखरू का सेवन करने से फायदा मिलता है।
6. ब्राह्मी : ब्राह्मी एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक हर्ब है जो महिलाओं के लिए काफ़ी लाभकारी है। ब्राह्मी में कई सारे ऐसे सक्रिय तत्व पाए जाते हैं। जो हमारे शरीर के हार्मोनल असंतुलन को बरकरार रखने का काम करते हैं। यह आपको रिलैक्स करता है व तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। हार्मोनल असंतुलन से गुजर रहे लोगों के लिए यह वरदान है।
7. मुलेठी : महिलाओं में हार्मोन इंबैलेंस को मैनेज करने के लिए मुलेठी का इस्तेमाल काफ़ी फायदेमंद है। इसका सेवन फीमेल हार्मोंन को शरीर में बढ़ाने का काम करता है। मुलेठी कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरोन जैसे हार्मोन प्रोडक्शन को रेगुलेट करती है। मेनोपॉज के दौरान शरीर में एंड्रोजन का लेवल घटने लगता है लेकिन मुलेठी के सेवन से शरीर में एंड्रोजन की नियमित मात्रा बनी रहती है।
8. कचनार : कचनार के सेवन से हार्मोनल असंतुलन ठीक होता है, जिससे पीसीओएस की समस्या दूर होती है। कचनार थायराइड फ़ंक्शन को सपोर्ट करता है और थायराइड हार्मोन को संतुलित करने में मदद करता है। यह थायरॉयड ग्रंथि की सूजन और सूजन को कम करने में मदद करता है, जिससे समग्र थायरॉयड स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
ये सारे आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ हार्मोनल असंतुलन के इलाज और यौन स्वास्थ्य में सुधार करने में आपकी मदद कर सकती हैं। लेकिन आज के इस शहरी और व्यस्त ज़िंदगी में इन सारे हर्ब्स ढूँढना और उनकी कॉन्सेंट्रेटेड ज़रूरी मात्रा का सेवन करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। इसके लिए आप सप्पलेमेंट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा ही एक बेहतरीन सप्पलेमेंट है - गोयंग का AWSM Woman यह एक स्पेशल फ़ॉर्म्युलेशन पैक है जिसमें लिक्विड व टैबलेट का एक विशेष कॉम्बिनेशन है जिसमें उपर दिए गए सारे हर्ब्स प्रमाणित मात्रा में दिए गए हैं और इसे लेना भी बेहद आसान है।
हार्मोनल असंतुलन एक जटिल मामला है जिसके अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों परिणाम होते हैं जो एक महिला के जीवन के विभिन्न पहलुओं को अच्छा ख़ासा प्रभावित करते हैं। इन सभी प्राकृतिक उपायों को सही ढंग से अपनाने से हार्मोनल असंतुलन की समस्या में सुधार हो सकता है और आप जीवन भर उससे बचे भी रह सकते हैं।
Written by: Dr. Rajesh Singh
डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग में साझा की गई जानकारी केवल इंफॉर्मेशनल उद्देश्यों से शेयर की जा रही है तथा यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता।