एक बात तो ज़रूर है कि हर किसी को वजन घटाने की ज़रूरत नहीं है। पर अगर आप का BMI स्कोर 25 क्रॉस कर चुका है, तो आपको सुरक्षित तरीके से वजन कम करने के तरीक़ों पर काम शुरू कर देना चाहिए। क्यों कि वजन सिर्फ़ आप के लुक-फ़ील या कॉन्फ़िडेन्स के लिए हानिकारक नहीं है, बल्कि ज़्यादा वजन आपको कई बीमारियों का शिकार बना देता है और जब तक आपको पता लगता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
सुरक्षित तरीके से ही वजन क्यों कम करना चाहिए?
आख़िर क्यों जल्द से जल्द वजन घटना नहीं चाहिए? आपके वजन के बढ़ने के बहुत सारे अलग-अलग कारण होते हैं। शरीर में फ़ैट, ग्लायकजन, बोने वेट और पानी के लिए वेट होते हैं। अचानक जब आप अजीब डायट-प्लान करके वजन घटाने की कोशिश करते हैं तो अक्सर आप अपने न्यूट्रीशन, हायड्रेशन, बोन हेल्थ, किड्नी, हार्ट जैसे ऑर्गन के साथ बड़ा खिलवाड़ करते हैं। धान रहे कि वेट-लॉस के लिए आपको अपना फ़ैट को कम करना है, बॉडी डीटॉक्स करना है और अपने डायजेशन व गट-हेल्थ को ठीक करना है ना की अपने आप को शारीरिक व मानसिक तौर पर कमजोर बनाना है।
अपने बॉडी को पर्फ़ेक्ट रखते हुए, अपने गट-हेल्थ, डायजेशन व एसिडिटी को बैलेन्स रखते हुए अपने बॉडी-फ़ैट को कम करना है। ऐसा कुछ करना है ताकि आपका वजन ‘स्लो एंड स्टेडिली’ कम हो – और इसी को हेल्थी वेट-लॉस कहते हैं जिसमें आप अपना ‘वेट’ लूज़ करें, ‘हेल्थ’ नहीं।
‘वेट-लॉस’ हमेशा हेल्दी होना चाहिए। ऐसा ना हो कि वेट-लॉस के चक्कर में आप अपने हेल्थ का ही नुक़सान कर बैठे। इसीलिए, वजन कम करने की कोशिश करते समय पोषण और व्यायाम दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। कम कैलोरी खाने से तुरंत बड़ा असर पड़ता है, लेकिन सक्रिय रहना भी तो ज़रूरी है। आज के इंस्टा व इंटरनेट के जमाने में आपको लोग बहुत अजीब सलाह और डायट लेने की सलाह देंगे पर इतना ध्यान रखिए आप को हेल्थी रहने के लिए न्यूट्रीशन का मिलते रहना ज़रूरी है।
आपका मेटाबोलिज़्म - यानी आपके शरीर की कैलोरी को ईंधन में कितनी अच्छी तरह बदलने की क्षमता भी बेहद महत्वपूर्ण है। अगर आप बहुत अधिक कैलोरी कम करते हैं, तो आप न केवल पोषक तत्वों से कंजूसी करते हैं, बल्कि आप अपने मेटाबोलिज़्म या चयापचय को भी बुरी तरह से स्लो डाउन कर देते हैं, जिससे लॉंग-रन में वजन कम करना और भी मुश्किल हो जाता है। और ज़्यादातर लोग इसी बात का शिकार होते हैं और बाद में इस बात से परेशान होते हैं कि ‘वजन कम ही नहीं हो रहा’।
हेल्दी वेट-लॉस के लिए 7 अत्यंत प्रभावी तरीके
1. स्वास्थ्यवर्धक आहार: संतुलित और पौष्टिक आहार वजन कम करने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। हरी सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज, और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। प्रोटीन तृप्ति को बढ़ाता है, जिससे भूख कम होती है और आप कम कैलोरी का सेवन करते हैं। प्रोटीन युक्त भोजन खाने के बाद पेट भरा हुआ महसूस होता है, जिससे अधिक खाने की संभावना कम हो जाती है।तले-भुने, ट्रांस-फ़ैट और हाइ-शुगर वाले खाद्य पदार्थों से बचें।
हेल्दी इटिंग एक आदत है और इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने आदत में बदलाव करें। एक दिन में आप कितनी कैलोरी लेते हैं इसकी गणना करें और अपने BMR के हिसाब से अपने कैलोरी इंटेक को निर्धारित करे। और फिर धीरे-धीरे अपने कैलोरी-इंटेक में कमी लायें। प्रत्येक सर्विंग में कितनी कैलोरी है, इसे जानने के लिए खाद्य लेबल पढ़ना शुरू करें।
2. खाने का समय : वजन कम करने के लिए और वेट मैनेजमेंट में आपके ‘खाने के समय’ का एक बड़ा ही वैज्ञानिक कनेक्शन है। सुबह उठे ही यदि आप जल्दी नाश्ता या ब्रेकफास्ट करते हैं तो यह आपके वेट मैनेजमेंट के लिए बहुत ही मददगार है। इसी तरह आप यदि अपना डिनर जल्दी लेते हैं (अपने सोने से कम से कम २ घंटे पहले) तो आपका वजन नियंत्रण में रहेगा। दिन के समय मेटाबॉलिज्म तेज होता है और रात में धीमा हो जाता है। जल्दी खाने से भोजन को पचाने और ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है, जिससे अतिरिक्त कैलोरी वसा के रूप में संग्रहीत नहीं होती। जल्दी खाना खाने से इंसुलिन संवेदनशीलता बेहतर होती है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है। उच्च इंसुलिन संवेदनशीलता वसा के भंडारण को कम करती है और वजन प्रबंधन में सहायक होती है।
3. कम से कम आधा घंटा व्यायाम: कितन भी असम्भव लगे, व्यायाम करना शुरू करें। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम वाके ही थोड़े दिनों में अच्छे लगने लगता हैं। व्यायाम के साथ साथ, योग और स्ट्रेचिंग भी उपयोगी होते हैं। व्यायाम करने से कैलोरी जलती है। नियमित व्यायाम मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। व्यायाम विशेषकर वेट ट्रेनिंग या रेजिसटेंस ट्रेनिंग आपके मांसपेशियों का निर्माण करते हैं जिससे मेटाबॉलिज्म बढ़ता है, क्योंकि मांसपेशियां वसा से अधिक कैलोरी खर्च करती हैं। कार्डियोवस्कुलर व्यायाम जैसे दौड़ना, तैराकी, और साइकिल चलाना शरीर में जमा फ़ैट को बर्न करने में मदद करता है। इससे शरीर की फैट परसेंटेज भी कम होती है और आपको मिलता है हेल्दी वेट लॉस।
4. पर्याप्त व अच्छी नींद: वजन घटाने के लिए अच्छी नींद बेहद महत्वपूर्ण है। इसका कारण है कि आपकी नींद से जुड़े हैं कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारक जो वजन घटाने के लिए ज़िम्मेदार हैं। क्वालिटी नींद भूख और भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन पर काम करती है। अपर्याप्त नींद आपके मेटनोलिज्म को भी धीमा कर सकती है, जिससे कम कैलोरी बर्न होती है। लगातार नींद की कमी इंसुलिन प्रतिरोध से भी जुड़ी होती है, जिससे आपके शरीर के लिए भोजन को कुशलता से ऊर्जा में परिवर्तित करना कठिन हो जाता है। और ये सारे फ़ैक्टर्स आपके वेट-गेन के लिए ज़िम्मेदार हैं।
इसीलिए अच्छी नींद वजन कम करने के लिए और वेट-मैनेजमेंट के लिए बेहद ज़रूरी है। कई बार देखा गया है कि छात्रों में और रात जाग के काम करने वाले लोगों में मोटापा और हार्ट-प्रॉब्लम के सिम्प्टम्ज़ बढ़ने लगते है। अपने वजन को यदि कंट्रोल में रखना है तो हर रात 7-8 घंटे की नींद ज़रूर लें।
5. पानी का सेवन बढ़ाएं: आपका हायड्रेटड रहना भी कई कारणों से वजन घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भोजन से पहले पानी पीने से भूख कम करने और तृप्ति की भावना को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। कभी-कभी, प्यास को भूख समझ लिया जाता है, जिससे अनावश्यक स्नैकिंग या अधिक भोजन करना शुरू हो जाता है। हायड्रेटड रहने से आपके मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ावा मिलता है। हाइड्रेटेड रहने से आपके व्यायाम प्रदर्शन में सुधार होता है। बेहतर व्यायाम प्रदर्शन का मतलब है अधिक कैलोरी बर्न और अधिक प्रभावी वर्कआउट। पानी शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को फ़्लश-आउट करने में मदद करता है और आपके किडनी फ़ंक्शन को बहरत करता है। संग्रहित वसा और कार्बोहाइड्रेट को मेटाबोलाइज करने के लिए भी शरीर में उचित हाइड्रेशन ज़रूरी है।
6. ध्यान और तनाव प्रबंधन: आपका तनाव वजन बढ़ने का एक बड़ा कारण हो सकता है। तनाव कोर्टिसोल जैसे हार्मोन के स्राव को ट्रिगर करता है, जिसे "तनाव हार्मोन" भी कहा जाता है। ऊंचे कोर्टिसोल के स्तर से भूख और लालसा बढ़ सकती है। कोर्टिसोल उत्पादन, इमोशनल इटिंग, बिंज इटिंग, मेटाबोलिज़्म में बदलाव, हार्मोनल परिवर्तन, फ़ैट स्टोरेज, इंसुलिन रेजिसटेंस – इस तरह के कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक फ़ैक्टर्स के कारण आपका तनाव आपके लिए वजन कम करना काफ़ी मुश्किल बना सकता है।
ध्यान और प्राणायाम जैसे तकनीकों का उपयोग करके मानसिक शांति प्राप्त करें और तनाव को कम करें। इससे भावनात्मक खाने की आदतों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। माइंडफुलनेस, व्यायाम, पर्याप्त नींद और हेल्दी कॉम्पटिशन जैसी तकनीकों के माध्यम से तनाव का प्रबंधन इन प्रभावों को कम करने और वजन घटाने के प्रयासों में मदद मिलता है।
7. क़ोलोन को क्लिंज कर के वजन घटाइए : कोलोन क्लिंजिंग, से आपके बड़ी आँत में जमे टॉक्सिन्स व डिपॉज़िट्स को फ़्लश-आउट किया जाता है और इससे आपके वेट-लॉस में एवं वेट-मैनेजमेंट में बहुत फ़ायदा मिलता है. क्लिंजिंग और डिपॉज़िट्स के फ़्लश-आउट होने से एक तो आपका कुछ इंस्टैंट वजन कम होता है जिससे आपको हल्का महसूस हो सकता है। अब क्लिंजिंग के बाद आपके पाचन-तंत्र में ज़बरदस्त सुधार आता है – आपकी भूख नियंत्रित होती है, आपका मेटाबोलिज़्म बेहतर होता है, इनफ़्लेमेशन में कमी आती है, आपकी नींद के क्वालिटी में सुधार होता है। और ये सारे बदलाव आपके वेट लॉस को सपोर्ट करते हैं।
आपका पीएच भी आपके वेट-गेन के लिए ज़िम्मेदार है और कोलोन क्लिंजिंग से आपके बॉडी का पीएच स्तर बेहतर होता है। हर्ब्स व अल्क़लाइन डायट से बॉडी का पीएच-संतुलन बनाए रखने से वजन घटाने में सहायता मिलती है।
शरीर लगभग 7.4 के सामान्य रक्त पीएच के साथ एक विनियमित एसिड-बेस बैलेंस बनाए रखता है। लेकिन जब आप बहुत ज़्यादा एसिडिक फ़ूड (जैसे मांस, प्रोसेस्सड फ़ूड, ट्रांस फ़ैट, शुगरी फ़ूड आदि) लेते हैं तो बॉडी में थोड़ा अधिक अम्लीय वातावरण हो सकता है और यह अम्लीय आंतरिक वातावरण आपके मेटाबोलिज़्म को धीमा कर देता है और बॉडी में फ़ैट का स्टोरेज बढ़ने लगता है।
आपके शरीर का पीएच बैलेंस आपके हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है, जिसमें भूख और वसा-भंडारण से संबंधित हार्मोन भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, बढ़ी हुई एसिडीटी आपके इंसुलिन-सेंसिटीवीटी को प्रभावित करती है, जिससे रक्त-शर्करा का स्तर बढ़ सकता है और बॉडी में फ़ैट–स्टोरेज को बढ़ावा मिलता है। असिडिटी व कॉन्स्टिपेशन दोनों स्थितियां आपकी मेटाबोलिज्म को धीमी कर सकती है, जिससे आपके शरीर की कैलोरी-अर्न व कैलोरी-बर्न का अनुपात बिगड़ जाता है और आप वेट-गेन करने लगते हैं।
सुरक्षित तरीके से वजन कम करने में ‘स्लीम एंड डीटॉक्स’ कैसे मदद करता है ?
जल्दी वजन घटाने के लिए कई लोग अजीब-अजीब और अवैज्ञानिक डायट-प्लान व एक्सरसाइज़ का सहारा लेते हैं। पर इन सब के बावजूद जो वेट लॉस होती है वो वापस आ जाती है या बाउन्स-बैक सो जाती है और वो सब करते रहना वैसे भी सम्भव नहीं है। कोई ऐसी चीज़ (एक्सरसाइज़ या डायट-प्लान) जिसे आपका बॉडी लम्बे समय तक नहीं कर सकते वो सस्टेनेबल नहीं है।
तो क्या है ऐसा उपाय जो आपको नैचुरल सोल्यूशन दे, आपका कोलोन क्लिंज करे, आपके गट-हेल्थ को सही करे, कॉन्स्टिपेशन भगाए, आपके बॉडी का पीएच बैलेंस व हार्मोनल-संतुलन बनाए और आपके वेट-लॉस में ज़बरदस्त योगदान दे? गोयंग के ‘स्लीम एंड डीटॉक्स’ में हैं ये सारे के सारे गुण क्योंकि यह बना है चुने हुए कुछ ख़ास हर्ब्स से हज़ारों वर्षों से वेट-लॉस के लिए विख्यात हैं। ‘स्लीम एंड डीटॉक्स’ है वेट-लॉस का कोलोन-क्लिंजिंग फ़ॉर्म्युला।
‘स्लीम एंड डीटॉक्स’ एक अनोखा वेट-लॉस ओर गट हेल्थ सप्लेमेंट हैं जो १००% नैचरल है। अगर किसी को भी सुरक्षित तरीके से वजन कम करना हो तो ‘स्लीम एंड डीटॉक्स’ है एक बेहतरीन उपाय। इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है और चूँकि इसमें आँवला के रेशे के साथ ११ से ज़्यादा ख़ास इंग्रीडीयंट्स है जो आपको देते हैं क़ब्ज़ से छुटकारा, थाइरॉयड बैलेंस, बेहतर इम्यूनिटी, हेल्दी स्किन व हेयर और होलिस्टिक हेल्थ।
आँवला रेशा : विषाक्त पदार्थों और टॉक्सिन को बाहर निकाले और कब्ज से लड़े, ऊपर से आप को दे विटामिन सी और ऐंटीआक्सिडंट
मुलेठी : अस्वास्थ्यकर वसा (fat) और विषाक्त पदार्थों ( toxins) के फैलाव को रोकने के लिए बरसों से आज़माया हुआ आयुर्वेदिक हर्ब
प्लमबगो/ चित्रक : आयुर्वेद में इसे रसायन या लिवर टॉनिक माना जाता है जो लिवर के मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है
गिलोय : आवश्यक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी जो इम्यूनिटी को बढ़ाती है और आंत के स्वास्थ्य में सुधार करती है
गुग्गुल : एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी, थायराइड का प्रभावी ढंग से इलाज करती है और वजन घटाने को बढ़ावा देती है
हरीतकी : चमत्कारी फल जो आंत्र पथ को साफ करता है और स्वस्थ वजन घटाने को बढ़ावा देता है
सूँथ :पेट की खराबी से राहत देता है और गैस्ट्रिक जलन को ठीक करता है
‘स्लीम एंड डीटॉक्स’ में है ऐसे कई सारे गुणकारी इंग्रीडीयंट्स जो अपने पूरे पाचन-तंत्र और गट को रीसेट करे ताकि आप दे सकें अपने बॉडी को ज़रूरी डिटॉक्स वो भी बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के और बड़े आसानी से – सिर्फ़ दो चम्मच रोज।‘स्लीम एंड डीटॉक्स’ को यदि आप अपना लिवर क्लिंजिंग करने के बाद 2-3महीने तक लेते हैं तो इसका असर दुगुना हो जाता है।
वेट-लॉस की जब बात हो तो शॉर्ट-कट कभी ना लें, हमेशा नैचुरल व सुरक्षित तरीके से वजन कम करने की कोशिश करें ताकि वो ‘हेल्दी वेट-लॉस’ हो। खुद हेल्थी रहें और दूसरों को भी हेल्थी बनायें।
Written by : Bratati Sen