यदि फ़्रैंक होकर बात करें तो आप यह बात ज़रूर मानेंगे कि - बवासीर या पाइल्ज़ ज़िंदगी को एक तरह से नरक बना देता है। इसके कारण होने वाली जलन, खुजली और दर्द आपके दैनिक गतिविधियों, यहां तक कि आपका बैठना भी मुश्किल कर देता है।
भयंकर सताने वाला दर्द इतना गंभीर हो सकता है कि यह आपके पूरे लाइफ़ को बाधित कर सकता है और आपको जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों से वंचित कर सकता है। जब आप बवासीर या इससे संबंधित लक्षणों से पीड़ित हों तो शौचालय जाना एक बुरे सपने से कम नहीं होता।
यदि आप इनमें से कुछ भी महसूस कर रहे हैं, तो आप इसमें अकेले नहीं हैं। क़रीब 50% से अधिक वयस्कों को अपने जीवन में कभी न कभी बवासीर से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अधिकांश लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें बवासीर है। और यदि कुछ लक्षण हों भी तो ज्यादातर लोग इसके बारे में बात करने या डॉक्टर के पास जाने से झिझकते हैं। इस प्रक्रिया में जटिलताएँ बढ़ती रहती हैं और अधिकांश लोगों को इस बीमारी के कारण और समाधान के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। ज़्यादातर लोग यह नहीं जानते कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
इस ब्लॉग में हम इन्हीं सारी बातों को बिल्कुल सरल भाषा में देने जा रहे हैं ताकि आप पाइल्ज़ जैसी तकलीफ़ से अपने आप को हमेशा बचाए रखें।
क्या है ये बवासीर?
बवासीर या पाइल्ज़ एक व्यापक बीमारी है जो किसी भी उम्र में पुरुषों या महिलाओं को प्रभावित कर सकती है। आज के आधुनिक जीवन में, बावसीर बहुत आम है, खासकर शहरी आबादी में। एक अनुमान के अनुसार, लगभग 60% लोग अपने जीवन में किसी न किसी चरण में बावसीर (बवासीर) से प्रभावित होते हैं। 40 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 80% लोग खराब खान-पान और निष्क्रियता के कारण बवासीर से पीड़ित हैं। लेकिन यह एक ऐसी चीज़ है जिसके बारे में लोग बात करने से झिझकते हैं।
बवासीर बहुत ही पीड़ादायक स्थिति होती है। यह एक तरीक़े का सूजन है जो मलाशय और गुदा के सबसे निचले हिस्से के अंदर और आसपास विकसित होती है। ये मूल रूप से सूजी हुई नसें या बढ़ी हुई रक्त वाहिकाएं होती हैं जो आपके गुदा के अंदर या आसपास बन जाती हैं। कभी-कभी, खासकर जब आप शौच करते हैं, तो इन रक्त वाहिकाओं की दीवारें इतनी पतली हो जाती हैं कि नसें उभर जाती हैं और उनमें जलन होने लगती है।
अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो तकलीफ कई गुना बढ़ जाती है। जब यह पुराना हो जाता है, तो यह और भी जटिलताएँ पैदा करता है। जब सूजन के कारण आंत की भीतरी दीवार पर घाव या अल्सर हो जाता है, तो इसे 'फिस्टुला' कहा जाता है, जो कष्टदायक होता है।
आख़िर कैसे बनता है पाइल्ज़?
बवासीर तब विकसित होता है जब गुदा के आसपास की नसों पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है। गुदा केनाल की परत के भीतर, रक्त वाहिकाओं और छोटी नसों का एक जटिल नेटवर्क होता है। इस परत पर मौजूद नसें सूजन, लंबे समय तक बैठे रहने, बार-बार कब्ज होने और गलत खान-पान की आदतों के कारण चौड़ी और बड़ी हो जाती हैं। ये बढ़ी हुई नसें और ऊपर के ऊतक फिर सूजन (पाइल्ज़) बनाने लगते हैं और इस तरह बवासीर विकसित होता है।
क्या हैं इस बवासीर के कारण?
उम्र बढ़ना पाइल्ज़ का एक कारण है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी गुदा और मलाशय में सहायक ऊतक कमजोर हो जाते हैं और गुदा के आसपास की नसें बड़ी हो जाती हैं। पुरानी कब्ज की वजह से भी मल त्याग के दौरान निचले मलाशय में स्ट्रेन होता है जिससे पाइल्ज़ बनता है।
सेडेंट्री लाइफ़स्टाइल और खराब खान-पान भी कारण हैं। प्रोसेस्ड व अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतें, कम फाइबर वाला आहार, मैदा आदि खाने से गुदा नलिका में ऊतकों में जलन और सूजन हो सकती है। मोटापा भी बावसीर का एक महत्वपूर्ण कारण है। अधिक वजन वाला व्यक्ति जब बैठता है तो उसके गुदा और मलाशय के आसपास की रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है।
लंबे समय तक बैठे रहना या लगातार बैठे रहना बवासीर का कारण बन सकता है। क्योंकि जब हम लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो यह हमारी नसों को नीचे की ओर धकेलता है, जिससे इंफ़्लेमेशन और सूजन हो जाती है जो आगे चलकर पाइल्ज़ का रूप ले लेता है।
कभी-कभी पाइल्ज़ वंशानुगत कारकों से भी जुड़ा होता है। कुछ लोगों को गुदा क्षेत्र में सूजन वाली नसें और नसों की पतली दीवारें विरासत में मिल सकती हैं और उनमें बवासीर विकसित हो सकता है।
कैसे पता करें कि आपको पाइल्ज़ नहीं है?
ज़्यादातर लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें बवासीर है क्योंकि उन्हें उस जगह कोई दर्द या तकलीफ़ नहीं होता है। कोई ज़रूरी नहीं है कि बवासीर में आपको दर्द हो ही। वास्तव में बवासीर से पीड़ित कुछ लोगों में कभी भी कोई लक्षण होते ही नहीं हैं। इसलिए हम यहाँ 7 ऐसे लक्षण की चेक-लिस्ट दे रहे हैं जिनमें से यदि कोई एक भी आपको है तो इसका मतलब – आपको या तो पाइल्ज़ है या जल्द होने वाला है
1. आपके गुदा क्षेत्र में खुजली या जलन
2. गुदा क्षेत्र के अंदर या आसपास दर्द या बेचैनी
3. आपके गुदा के पास सूजन, सूजन या सख्त गांठ
4. मल त्यागते समय तेज दर्द होना
5. शौचालय से लौटने पर भी 'पेट साफ़' महसूस होना
6. मल त्याग के दौरान दर्द रहित रक्तस्राव
7. आपके शौचालय का समय 10 मिनट से ज़्यादा होना
इसलिए आपको इन लक्षणों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और जांच और इलाज के लिए अपने डॉक्टर या वेलनेस एडवाइज़र से सलाह लेनी चाहिए।
बवासीर के लिए फ़ूड गाइडलाइन्स
सबसे जो ज़रूरी बात है वो ये कि आपको कोई भी ऐसा आहार नहीं लेना चाहिए जो क़ब्ज़ पैदा करे या फिर आपके स्टूल (मल) को सख़्त या हार्ड बनाए। ऐसा होने से मल त्याग के दौरान स्ट्रेन आएगा और उसी से पाइल्ज़ होगा या यदि पाइल्ज़ पहले से है तो उससे जुड़ी आगे की जटिलतायें बढ़ेंगी।
एक और ज़रूरी बात है फाइबर युक्त खाद्य-पदार्थों का चयन - क्योंकि ये मल की मात्रा (बल्क स्टूल) को बढ़ाते हैं, मल-त्याग को आसान बनाते हैं और आंतरिक रूप से बवासीर को रोकने और इलाज करने में मदद करते हैं।
बवासीर में क्या खायें और क्या नहीं खायें?
बवासीर या पाइल्स के लिए उचित आहार बहुत महत्वपूर्ण है ताकि आप इस स्थिति से राहत पा सकें और समस्या को बढ़ने से रोक सकें। यहाँ आपके लिए कुछ आहार संबंधी सुझाव दिए गए हैं:
1. फाइबर युक्त आहार:
फल: सेब, केला, पपीता, ऑरेंज, नाशपाती, और जामुन।
सब्जियाँ: पालक, मेथी, ब्रोकोली, गाजर, और गोभी।
सबूत अनाज: ब्राउन राइस, मल्टी-ग्रेन, होल ग्रेन का आटा, जौ, ओट्स आदि
2. तरल पदार्थ:
दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं (कम से कम 8-10 गिलास)।
नारियल पानी और ताजा फलों का रस भी लाभकारी हो सकता है।
3. छाछ और दही:
दही बवासीर के लिए अच्छा होता है। दही या छाछ प्रोबायोटिक्स से भरपूर होते हैं जो आंत के रोगाणुओं को समृद्ध करते हैं और पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। अपने दैनिक आहार में दही या छाछ को शामिल करने से बवासीर के लक्षणों से राहत मिलती है।
4. मेवे, नट्स और सीड्स:
बवासीर में मेवे या नट्स बहुत लाभकारी होते हैं क्योंकि उनमें फ़ाइबर कंटेंट के अलावा ओमेगा३ फ़ैटी ऐसिड, हेल्दी फ़ैट, एंटी-ऑक्सिडंट, मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं। सीड्ज़ विभिन्न किस्मों में आते हैं, जिनमें से सभी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। सबसे लोकप्रिय में से कुछ में चिया, अलसी, शब्ज़ा आदि शामिल हैं। आप इन्हें स्मूदी में डाल सकते हैं या सलाद या दही पर छिड़क सकते हैं। बादाम, अखरोट और अलसी के बीज।
5. हर्ब्स
पाइल्स में हर्ब्स बेहद प्रभावी होते हैं। जड़ी-बूटियाँ बवासीर में ज़बरदस्त राहत और बचाव का काम करते हैं क्योंकि वो सूजन और दर्द में राहत देते हैं, इंफ़्लेमेशन काम करते हैं। पाचन में सुधार लाते हैं। हर्ब्स में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में मदद करते हैं और बवासीर के कारण होने वाले संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। कुछ ख़ास जड़ी-बूटियाँ रक्तसंचार में सुधार लाती हैं और साथ ही मल त्याग को सरल बनाते हैं। ऐसे ही कुछ चुने हुए हर्ब्स से बना है – ‘पाइल्ज़ केयर’ जिसका रोज़ाना एक चम्मच आपको पाइल्ज़ से बचाए रख सकता है और यदि पाइल्ज़ है तो उससे निजात दिला सकता है।
कुछ फुड़स और खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जिससे बचने कि ज़रूरत है जैसे - तले हुए और मसालेदार भोजन, प्रॉसेस्ड फ़ूड, मैदा, फास्ट फूड और जंक फूड, शराब और कैफीन, ज्यादा चीनी और नमक।
साथ ही यह ज़रूरी है कि आप नियमित व्यायाम करें। लंबे समय तक एक जगह पर बैठने से बचें। तनाव से दूर रहें और नियमित रूप से ध्यान और योग करें। यह सब प्रेवेंशन के लिए ज़रूरी हैं।
प्रिवेन्शन हमेशा इलाज से बेहतर होता है। आज की अस्वास्थ्यकर, भाग-दौड़ वाली और सेडेंट्री लाइफ़स्टाइल में हममें से अधिकांश लोगों को बवासीर होने का खतरा है और कईयों को यह पहले से ही है। लेकिन यदि हम जानकार बनें, जागरूक रहें और इस ब्लॉग में दिए गए बातों का ख़्याल रखें तो आप पाइल्ज़ के चंगुल में कभी नहीं फँसेगे और यदि पहले से ही पाइल्ज़ की समस्या है तो उसे भी रिवर्स कर सकेंगे।
Written by : Dr Rajesh Singh