प्रोसेस्ड या जंक फूड, प्रदूषण, शराब, केमिकल रेसीड़यु - आपका शरीर दैनिक ज़िंदगी में कई टॉक्सिन्स से लड़ता है। सौभाग्य से, हमारी बॉडी में एक बेहतरीन डीटॉक्स सिस्टम मौजूद है। आपका लिवर, आपकी त्वचा, आपकी इम्यून सिस्टम और आपकी आंतें आपको हानिकारक पदार्थों को हटाने, स्क्रीन करने या उनसे बचाने का काम करती हैं। आपका लीवर जिंक और तांबे जैसे पोषक तत्वों को मेटाबोलाइज करने और पारा, सीसा और कैडमियम जैसी खतरनाक धातुओं को बेअसर करने में मदद करता है। और निश्चित रूप से, आपकी किडनी विषाक्त अपशिष्ट पदार्थों को फ़िल्टर करती है। लेकिन आज की जीवनशैली में हमारी आदतों और अन्य पर्यावरणीय कारकों की वजह से, इन प्रणालियों को अक्सर मुश्किल परीक्षा से गुजरना पड़ता है।
तो सवाल ये उठता है की ऐसे में कैसे हम अपने शरीर की मदद करें और इसे टॉक्सिन्स से कैसे छुटकारा दिलायें?
बॉडी डीटॉक्स के लिए कोई मैजिक-पिल या क्विक-फ़िक्स नहीं होता
आज हर जगह आपको बॉडी से टॉक्सिन खत्म करने का दावा करने वाले कई कई मैजिक रेमेडी या जादुई उपचार मिलते हैं - क्लींजर डाइट से लेकर, जहां आप खुद को केवल फलों के रस या ग्रीन-स्मूदी तक ही सीमित रखते हैं, डिटॉक्स फुट पैड तक। लेकिन सच्चाई यह है कि आपको सही मायने में अपने बॉडी-क्लिंजिंग के लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता होगी। सबसे बढ़िया होगा कि आप कुछ स्वस्थ और सुसंगत उपाय अपनायें जो आपके शरीर के नैचुरल डीटॉक्स सिस्टम को मज़बूत बनायें। इस ब्लॉग में हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही कुछ शानदार तरीक़े।
चलिए जानते हैं वो टॉप-10 तरीक़े जिन्हें अपनाकर आप अपने शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकाल सकते हैं और अपनी बॉडी को सूपर हेल्दी रख सकते हैं।
1. पानी से करें टॉक्सिन्स को निकाल बाहर
आपकी किडनी मूत्र उत्पन्न करने के लिए रक्त को फ़िल्टर करती है जो अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ से बना होता है। और पर्याप्त पानी पीने से आपकी किडनी को अच्छी तरह से काम करने में मदद मिलेगा। मूत्र आमतौर पर भूसे के रंग का होता है लेकिन यदि आपके मूत्र का रंग गहरा है तो यह एक प्रारंभिक संकेत हो सकता है कि आपको पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है।
तो क्या करें: सुनिश्चित करें कि आपको पर्याप्त तरल पदार्थ मिले। साधारण तौर पर यदि मात्रा की बात करें तो महिलाओं को एक दिन में लगभग 2.1लीटर की आवश्यकता होती है जबकि पुरुषों को लगभग 2.6 लीटर की आवश्यकता होती है। लेकिन यदि आप अत्यधिक व्यायाम कर रहे हैं या बहुत गर्मी है, तो पसीने के माध्यम से नष्ट हुए अतिरिक्त तरल पदार्थ की भरपाई के लिए आपको अधिक लिक्विड-इंटेक की आवश्यकता हो सकती है।
2. अपने फाइबर इंटेक पर ध्यान दें
आहारीय फाइबर आपके आंत्र-नियमितता को बनाए रखकर टॉक्सिन्स को खत्म करने में शरीर की मदद करता है। अघुलनशील फाइबर मल को बढ़ाता है और आपके पाचन तंत्र के माध्यम से अपशिष्ट और भोजन की गति को तेज करता है। इसलिए जब आप कब्ज से जूझ रहे हों तो यह विशेष रूप से उपयोगी है। इस बीच, घुलनशील फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद के रूप में कोलेस्ट्रॉल और वसा के अवशोषण में बाधा डालने के लिए जाना जाता है – इस तरह ये आपके हार्ट-हेल्थ के लिए बहुत फ़ायदेमंद हो जाता है।
क्या करें: यदि आप 2000 कैलोरी आहार पर हैं तो यह अनुशंसा की जाती है कि आप प्रतिदिन लगभग 25 ग्राम फाइबर लें। फल, मेवे और सब्जियाँ घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर के अच्छे स्रोत हैं। अपने दैनिक कोटा को पूरा करने के लिए फाइबर युक्त साबुत अनाज भी मिलाएं। 2 ऐसे कई प्रकार के खाद्य पदार्थ हैं जिनमें से आप चुन सकते हैं: बीन्स, दाल, सेब, ब्लूबेरी, दलिया और नट्स आपको घुलनशील फाइबर देंगे जबकि ब्राउन चावल, खीरे, गाजर , टमाटर और फलियाँ जसे चीज़ अघुलनशील फाइबर प्रदान करते हैं।
3. एंटीऑक्सीडेंट लें और फ्री-रेडिकल्स को निष्क्रिय करें
प्रोसेस्ड फ़ूड में मौजूद यौगिक, धूप में एक्सपोज़र, आपके शरीर द्वारा भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया, ओक्सिडेटिव स्ट्रेस, शराब, तंबाकू और प्रदूषण जैसे टॉक्सिन्स के परिणामस्वरूप फ्री-रैडिकल का निर्माण होता है। ये मुक्त कण आपके डीएनए और कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए, फ़ास्ट एजिंग के साथ-साथ मधुमेह और हृदय रोग से लेकर कैंसर तक की कई बीमारियों में उनकी भूमिका है। एंटीऑक्सिडेंट आपकी कोशिकाओं को कुछ टॉक्सिन्स के कारण होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं। वे आपके शरीर को मुक्त कणों से बचाते हैं और साथ ही कुछ हद तक क्षति को रिवर्स कर देते हैं।
क्या करें: फल और सब्जियां एंटीऑक्सीडेंट के समृद्ध स्रोत हैं। सुनिश्चित करें कि आप एंटीऑक्सीडेंट की रेंज़ प्राप्त करने के लिए रंगीन मिश्रण खाएं। उदाहरण के लिए, तरबूज, टमाटर, गुलाबी अंगूर और खुबानी आपको लाइकोपीन दे सकते हैं; मटर, पपीता, स्क्वैश, आम, गाजर और खरबूजा आपको बीटा-कैरोटीन दे सकते हैं; पालक, केल और कोलार्ड जैसी हरी पत्तेदार सब्जियाँ आपको ल्यूटिन दे सकती हैं - वे सभी एंटीऑक्सीडेंट जिनका नियमित सेवन आपको करना चाहिए। इसका आसान तरीक़ा है एक अच्छी क्वालिटी का एंटी-ऑक्सिडंट सप्पलेमेंट का नियमित इस्तेमाल। गोयंग का टेराबेरीज़ ऐसा ही एक सुपर एंटी ऑक्सिडंट है जिसे आप हर दिन ले सकते हैं।
4. नमक का सेवन कम करें
हममें से अधिकांश लोग अपने भोजन में बहुत अधिक नमक या सोडियम का उपयोग करते हैं। स्वाद के चक्कर में आज-कल के अधिकांश फुड़स में नमक की मात्रा बहुज ज़्यादा होती है। ज़्यादा नमक का सेवन आपका रक्तचाप बढ़ा सकता है, आपकी किडनी पर दबाव डाल सकता है और आपके शरीर से टॉक्सिन्स को निकालने की उनकी क्षमता को ख़राब कर सकता है। इसका नतीजा ये होता है कि आपके शरीर में टॉक्सिन्स जमा होना शुरू हो जाता है।
क्या करें: अपने नमक का सेवन प्रतिदिन 6 ग्राम से कम रखने का प्रयास करें। और याद रखें, रेडीमेड सॉस, बिस्किट ब्रेड जैसे कई प्रोसेस्ड फ़ूड में नमक की मात्रा भ्रामक रूप से अधिक हो सकती है, इसलिए प्रोडक्ट के लेबल को पढ़ना सीखें। इसका मतलब ये नहीं कि आप स्वादहीन भोजन लेना शुरू करें। भोजन को स्वादिष्ट और रुचिकर बनाने के लिए दालचीनी, काली मिर्च और अदरक जैसे मसालों का उपयोग भी किया जा सकता है।
5. शराब से दूर रहें
आपका लीवर आपके रक्त को साफ़ और विषमुक्त करता है और जब आप शराब पीते हैं तो यह शराब को फ़िल्टर करता है। लेकिन हर बार ऐसा होने पर, कुछ यकृत कोशिकाएं मर जाती हैं। लीवर खुद को पुनर्जीवित करने में सक्षम है लेकिन अत्यधिक शराब का सेवन इस क्षमता में बाधा डाल सकता है और परिणामस्वरूप लीवर को स्थायी क्षति हो जाती है।
क्या करें: संयम बरतें और हर सम्भव कोशिश करें कि आप शराब से दूर रहें। यदि आप शराब पीते रहे हैं तो डिटॉक्स पर विशेष ध्यान दें और जितना हो सके डैमेज को रिवर्स करने की कोशिश करें।
6. धूम्रपान छोड़ें
क्या आप जानते हैं कि सिगरेट के धुएं में 4000 से अधिक केमिकल्स होते हैं। और इनमें से कई बेहद जहरीले हैं। कुछ ऐसे ख़तरनाक पदार्थ जिन्हें आप धूम्रपान करते समय सांस के साथ अंदर ले सकते हैं - फॉर्मेल्डिहाइड, वह रसायन जिसका उपयोग प्रयोगशालाओं में नमूनों को संरक्षित करने के लिए किया जाता है, अमोनिया, टॉयलेट क्लीनर में इस्तेमाल किया जाने वाला रसायन, हाइड्रोजन साइनाइड, जो चूहे के जहर में पाया जाता है, टोल्यूनि, जो पेंट थिनर का एक हिस्सा है। ये सारे ख़तरनाक टॉक्सिन्स हैं जो धूम्रपान से बॉडी के अंदर प्रवेश करते हैं जो कैंसर का कारण बन सकता है, हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता है और आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
क्या करें: धूम्रपान छोड़ें। पैसिव स्मोकिंग से बचें। निकोटीन प्रतिस्थापन उत्पादों या प्रिस्क्रिप्शन दवाओं पर भी विचार करें जो रिवर्सल के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। रीसर्च से पता चलता है कि वे आपके धूम्रपान छोड़ने के सक्सेस रेट को दोगुना कर सकते हैं।
7. हर्बल उपचार आज़माएं – नैचुरल सप्पलेमेंट्स लें
कुछ विशेष हर्ब्स, स्पायसेज़ व जड़ी-बूटियाँ डीटॉक्स के लिए जानी जाती हैं। यहां कुछ ऐसे ही हर्ब्स के बारे में जानते हैं जो आपके लीवर की कार्यप्रणाली को बढ़ा सकते हैं और आपके शरीर को डीटॉक्स करने में बड़ी मदद कर सकते हैं।
हल्दी : हल्दी का उपयोग हजारों वर्षों से इसके औषधीय गुणों के लिए किया जाता रहा है। इसके शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुण आपके लीवर की भी रक्षा कर सकते हैं। इसमें पाया जाने वाला करक्यूमीन बॉडी डीटॉक्स के माध्यम से लिवर सिरोसिस की प्रगति को रोक सकता है।
हल्दी का इस्तेमाल आप गोल्डन मिल्क बनाकर भी कर सकते हैं या फिर अच्छे कॉन्सेंट्रेशन के लिए कोई अच्छा करक्यूमीन सप्पलेमेंट भी ले सकते हैं। गोयंग का ‘करक्यूमीन कैपस्युल’ व ‘क्योरक्यूमाइन’ इसके लिए बेहतरीन विकल्प हैं।
नोनी : नोनी एक अच्छे डिटॉक्सीफायर के रूप में कैसे काम करता है। इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में लंबे समय से किया जा रहा है, खासकर डिटॉक्सिफिकेशन के लिए। नोनी में विटामिन सी, विटामिन ई और अन्य एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर में मुक्त कणों को न्यूट्रलाइज़ करने में मदद करते हैं और शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालता है। यह शरीर में एंजाइम्स का उत्पादन बढ़ाता है जो पाचन में सहायता करते हैं और हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर निकालते हैं। नोनी लीवर डिटॉक्सिफिकेशन का भी काम करता है।
नोनी प्रिमियम कॉन्सेंट्रेट को हर दिन सुबह ख़ाली पेट एक अच्छे हेल्थ ड्रिंक के रूप में लिया जा सकता है।
व्हीटग्रास : व्हीटग्रास में कुछ विशेष क़िस्म के एंजाइम होते हैं जो आपके शरीर को भोजन को तोड़ने और पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करके डीटॉक्स प्रक्रिया को बेहतर करते हैं। इसका डिटॉक्स प्रभाव आपकी आंतों को भी क्लिंज करता है।
व्हीटग्रास को आप घर में उगा सकते हैं और हर दिन उसका सेवन कर सकते हैं। दूसरा बेहतरीन विकल्प है – गोयंग का कलर-ओ-फ़िल ड्राप्स जिसमें है व्हीटग्रास का हाई क्वालिटी कॉन्सेंट्रेट।
मोरिंगा : मोरिंगा के पत्ते, बीज, फली व फूल सबमें डिटॉक्सिफिकेशन का गुण होता है। मोरिंगा की पत्तियां प्राकृतिक क्लींजर हैं जो हमारे बॉडी सिस्टम को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करती हैं। मोरिंगा लीवर के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। लीवर शरीर में टॉक्सिन्स को फिल्टर करता है, और मोरिंगा इसके कार्य को बढ़ावा देकर लीवर को स्वस्थ बनाए रखता है।
मोरिंगा (ड्रमस्टिक या सहजन) को आप शब्जी या साम्भर में ले सकते हैं। अच्छी कॉन्सेंट्रेशन में इसे लेने के लिए गोयंग का मोरिंगा कैपस्युल एक अच्छा व किफ़ायती विकल्प है।
ग्रीन टी : ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर से हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करते हैं। यह लीवर की सफाई और पाचन-तंत्र को सुधारता है। ग्रीन टी में कैटेचिन्स होते हैं, जो लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाकर डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया को तेज करते हैं। इससे मेटाबॉलिज्म भी बेहतर होता है, जिससे बॉडी के टॉक्सिन जल्दी से बाहर निकल जाते हैं।
ग्रीन-टी के लिए हमेशा अच्छी ओर्गानिक लीफ़-टी या इक्स्ट्रैक्ट टेबलेट्स का इस्तेमाल करें। जितना हो सके ऐसे हर्ब्स व स्पायसेज़ को अपने दैनिक आहार में शामिल करें क्योंकि ये आपके बॉडी डीटॉक्स के लिए नैचुरल तरीक़े हैं। ऐसे ही कुछ बेहद चुनिंदा हर्ब्स से बना है 'गोयंग स्लिम एंड डीटॉक्स' जो आपके कोलोन क्लिंजिंग के लिए एक बेहद प्रभावी नैचुरल सप्पलेमेंट है।
8. पर्याप्त नींद लें
क्या आप जानते हैं कि रात की अच्छी नींद आपके मस्तिष्क से टॉक्सिन्स को साफ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है? न्यूरोडीजेनेरेटिव स्थितियों में फंसे टॉक्सिक मॉलेक्यूल दिन के दौरान मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच की जगह में जमा हो जाते हैं। सोते समय आपके मस्तिष्क की सेलुलर संरचना बदल जाती है और मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच अंतराल बढ़ जाता है। और आपका ग्लाइम्फैटिक सिस्टम जो मस्तिष्कमेरु द्रव के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है - तरल पदार्थ जो आपकी रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क को घेरता है - खुल जाता है। फिर द्रव आपके मस्तिष्क से तेजी से प्रवाहित होकर हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है।
क्या करें: औसतन एक वयस्क को रात में लगभग 7 से 9 घंटे की नींद की ज़रूरत होती है। सुनिश्चित करें कि आप नींद में कंजूसी न करें। अपने दिन की शुरुआत स्पष्ट दिमाग से करें।
9. इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग आज़मायें
इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग या आंतरायिक उपवास का प्रचलन आज-कल बढ़ता जा रहा है। इंटरमिटेंट फास्टिंग शरीर की डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। उपवास के दौरान, शरीर ऊर्जा के लिए संग्रहीत फ़ैट का उपयोग करता है, जिससे टॉक्सिन्स का उत्सर्जन होता है। यह कोशिकाओं की मरम्मत प्रक्रिया को भी स्टिम्युलेट करता है, जिससे ऑक्सीडेटिव तनाव कम होता है। इसके अलावा, यह पाचन तंत्र को आराम देकर टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।
क्या करें: एक दिन में मिलने वाली कैलोरी को सप्ताह के दो गैर-लगातार दिनों में 500 कैलोरी तक सीमित रखें, जबकि सप्ताह के बाकी दिनों में नियमित आहार का पालन करें। आप समय-प्रतिबंधित आहार का भी पालन कर सकते हैं, जहां आप एक दिन में 8 घंटे की अवधि के भीतर भोजन करते हैं और फिर शेष 16 घंटों के लिए उपवास करते हैं। ध्यान रहे - इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग तभी करें जब आप बिल्कुल स्वस्थ हों। डाइबीटीज़, गुर्दे की बीमारी आदि में यह जटिलताओं को बढ़ा सकता है।
10. क्लिंजिंग थेरापी ज़रूर आज़मायें
यदि आप सही मायने में बॉडी डीटॉक्स का कोई सूपर इफ़ेक्टिव और नैचुरल तरीक़ा ढूँढ रहे हैं तो आपको एक बार 'क्लिंजिंग थेरापी' आज़माना चाहिए। इस थेरापी को एक बार करने के बाद आप इसके दीवाने हो जाएँगे और हर चार-छः महीनों में इसे दुहराना चाहेंगे। वैसे तो डॉ पीयूष सक्सेना के क्लिंजिंग थेरापी में फुल बॉडी डीटॉक्स के लिए कुल 28 तरह के क्लिंजिंग हैं लेकिन आप लिवर क्लिंज से अपनी शुरुआत कर सकते हैं।
लिवर क्लिंजिंग को बॉडी का मास्टर क्लिंज कहा जाता है। और इसे आप एक 'क्लिंजिंग थेरापी किट' के ज़रिए घर बैठे भी बड़े आसानी से कर सकते हैं। लिवर क्लिंजिंग के फ़ायदे इतने बेशुमार हैं कि आज दुनिया भर में लाखों लोग इस थेरापी को फुल-बॉडी डीटॉक्स के लिए तो करते ही हैं साथ ही इसकी वजह से निरोगी और दीर्घायु बन रहे हैं।
इसके अलावा आपको किड्नी क्लिंजिंग, एसिडीटी क्लिंज, लंग क्लिंज, गायनेक क्लिंज जैसे कुछ बहुत ही लाभकारी क्लिंजिंग थेरापी आपको आज़माना चाहिए। और इसके लिए आप वेल्दीलाइफ़ कैम्प में जाएँ जहां ये सारे थेरापी एक्स्पर्ट थेरापिस्ट की देख-रेख में किए जाते हैं।
शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल हमारे शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में सहायक होती है, बल्कि हमारी ऊर्जा को भी पुनर्जीवित करती है और हमारे एजिंग को भी स्लो-डाउन करती हैं। उचित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त पानी, क्लिंजिंग थेरापी और सही सप्पलेमेंट का सेवन हमें स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने में मदद कर सकते हैं। अपने शरीर को डिटॉक्स करके, हम न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ और ताजगी महसूस करते हैं। इसलिए, अपने शरीर की अच्छी देखभाल करें और डिटॉक्स को अपनी जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाएं।
Written By : Dr Rajesh Singh
Gall bladder, kidni urin bladder और liver
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