तुलसी एक औषधीय पौधा है जो भारत की पैदाइश है और पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। यह झाड़ी के रूप में उगता है और 1 से 3 फुट ऊँचा होता है। पौधा सामान्य रूप से दो-तीन वर्षों तक हरा बना रहता है। इसके बाद यह धीरे-धीरे सूखने लगता है।
तुलसी को अंग्रेज़ी में Holy Basil कहते है और इसका लैटिन नाम है ऑसीमम सैक्टम। इसे "पवित्र तुलसी" भी कहा जाता है। तुलसी, को अक्सर "अतुलनीय", "जीवन का अमृत" या "जड़ी-बूटियों की रानी" कहा जाता है।
भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है। सदियों से हमारे देश में तुलसी का धार्मिक रूप से बहुत ज़्यादा महत्व रहा है। यही कारण है कि लगभग हर भारतीय घर में यह पौधा ज़रूर मिल जाएगा। इसका औषधीय गुण इतना है कि तुलसी को भगवान के प्रसाद में रखकर ग्रहण करने की परंपरा है, ताकि यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही शरीर के अंदर पहुंचे और शरीर में किसी तरह की आंतरिक समस्या पैदा हो रही हो तो उसे खत्म कर दे।
लेकिन तुलसी केवल एक धार्मिक पौधा ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी अत्यंत फायदेमंद है। आयुर्वेद में तो तुलसी को उसके औषधीय गुणों के कारण विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है।
तुलसी में गजब की रोगनाशक शक्ति है। इसीलिए भारतीय आयुर्वेद के सबसे प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता में कहा गया है कि :
>> तुलसी हिचकी, खांसी,जहर का प्रभाव व पसली का दर्द मिटाने वाली है। इससे पित्त की वृद्धि और दूषित वायु खत्म होती है। यह दूर्गंध भी दूर करती है।
>> तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली दिल के लिए लाभकारी, त्वचा रोगों में फायदेमंद, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और मूत्र से संबंधित बीमारियों को मिटाने वाली है। यह कफ और वात से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है।
>> तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली कफ, खांसी, हिचकी, उल्टी, कृमि, दुर्गंध, हर तरह के दर्द, कोढ़ और आंखों की बीमारी में लाभकारी है। तुलसी को भगवान के प्रसाद में रखकर ग्रहण करने की भी परंपरा है, ताकि यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही शरीर के अंदर पहुंचे और शरीर में किसी तरह की आंतरिक समस्या पैदा हो रही हो तो उसे खत्म कर दे। शरीर में किसी भी तरह के दूषित तत्व के एकत्र हो जाने पर तुलसी सबसे बेहतरीन दवा के रूप में काम करती है। सबसे बड़ा फायदा ये कि इसे खाने से कोई रिएक्शन नहीं होता है।
आयुर्वेद ग्रंथो व मॉडर्न मेडिकल रिसर्च के अनुसार तुलसी के गुणों की सूची बहुत लम्बी है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे इस चमत्कारी तुलसी के ऐसे 10 हेल्थ बेनेफ़िट्स जो विज्ञान समर्थित या साइन्स-बैक्ड हैं।
1. इम्यूनिटी बढ़ाता है
तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो हमारे शरीर को संक्रमणों और बीमारियों से बचाते हैं व इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। तुलसी सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ाकर भी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है। यह शरीर में जमा हुए टॉक्सिक को बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
तुलसी के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता बेहतर होती है, जिससे मौसमी बीमारियों से बचाव होता है। सर्दी, खांसी व बुखार के इलाज के लिए तुलसी एक राम-बान इलाज़ है। यही कारण है कि तुलसी विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में प्रमुख इंग्रीडीयंट्स में से एक है।
2. श्वसन-संबंधी विकारों को ठीक करता है
तुलसी एंटी-इंफ्लेमेटरी है साथ ही इसमें होते हैं कैम्फीन, यूजेनॉल और सिनेओल जैसे कम्पाउंड जिनके कारण तुलसी श्वसन प्रणाली के वायरल, बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण को ठीक करती है।
यह फेफड़ों के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो फेफड़ों के संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। तुलसी का सेवन कफ और बलगम को साफ करता है, जिससे सांस लेना आसान होता है। यह अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी विभिन्न श्वसन विकारों को ठीक कर सकता है।
3. स्ट्रेस कम करता है
तुलसी एक एडाप्टोजेनिक हर्ब है, जिसका मतलब है कि यह शरीर को तनाव और चिंता से निपटने में मदद करता है। इसके सेवन से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है। इससे मूड बेहतर होता है और तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली में सुधार होता है. तुलसी का सेवन कोर्टिसोल, जो कि तनाव का प्रमुख हार्मोन है, के स्तर को नियंत्रित करता है। तुलसी नियमित रूप से लेने से मन और शरीर दोनों को संतुलन और सुकून मिलता है।
4. डायबीटीज़ में गुणकारी
तुलसी का सेवन रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है। तुलसी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, मिथाइल यूजेनॉल और कैरीओफिलीन जैसे जादुई घटक इंसुलिन के स्राव में सहायता करते हैं और बॉडी में इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाते हैं जिससे ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. अगर आप डायबिटिक नहीं है, तब भी यह आपके लिए एक बढ़िया नेचुरल प्रिवेन्शन है।
5. त्वचा और बालों के लिए लाभकारी
तुलसी का उपयोग त्वचा की समस्याओं जैसे कि मुहांसे और खुजली में किया जा सकता है। यह आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से त्वचा के संक्रमण का इलाज करने में मदद करता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा को साफ और चमकदार बनाए रखते हैं। बालों के लिए भी तुलसी का रस लाभकारी होता है, जिससे बालों की जड़ों को मजबूती मिलती है।
6. हार्ट-हेल्थ में सुधार
तुलसी में विटामिन सी और यूजेनॉल जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हृदय को मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं। यूजेनॉल रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद करता है। यह रक्त संचार को सुधारती है और धमनियों की दीवारों को मजबूत बनाती है। तुलसी का नियमित सेवन हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम करता है और दिल को स्वस्थ रखता है।
7. वजन घटाने में सहायक
तुलसी वजन घटाने में मदद करती है क्योंकि यह मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाती है, जिससे शरीर में कैलोरी बर्न होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर में जमा टॉक्सिक को फ़्लश-आउट करने में मदद करते हैं। तुलसी भूख को नियंत्रित करती है और एमोशनल इटिंग की आदतों को कम करती है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखती है, जिससे बेहतर पाचन और वजन नियंत्रण होता है। तुलसी का नियमित सेवन बॉडी फ़ैट को कम करने में सहायक होता है।
8. ब्रेन व मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी
तुलसी मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं। तुलसी का सेवन मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और याददाश्त को सुधारता है। यह मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में सहायक है। तुलसी का नियमित सेवन डिप्रेशन के लक्षणों को कम करता है। इसके अलावा, यह मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर्स को संतुलित रखने में मदद करता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
9. मुख स्वास्थ्य या ओरल हेल्थ में असरदार
तुलसी एक ज़बरदस्त नेचुरल माउथ फ्रेशनर और ओरल डिसिंफेक्टैंट है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो मुंह के बैक्टीरिया और संक्रमण को दूर रखते हैं। ऑसिमम सैंक्टम मुंह के छालों को भी ठीक कर सकता है। तुलसी दांतों की कैविटी, प्लाक, टार्टर और सांसों की दुर्गंध के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को नष्ट करती है, साथ ही दांतों की रक्षा भी करती है। तुलसी का इस्तेमाल मसूड़ों की सूजन और दांतों की सड़न से बचाव के लिए बेहद प्रभावी हो सकता है।
10. एंटी-एजिंग में मददगार
तुलसी एंटी-एजिंग के लिए बहुत लाभकारी है। फ्री रेडिकल्स हमारे एजिंग का कारण होता है और इससे त्वचा में झुर्रियों और बारीक रेखायें बनने लगती हैं। तुलसी में मौजूद विटामिन सी और ए, फाइटोन्यूट्रिएंट्स विशेष एंटीऑक्सीडेंट हैं जो त्वचा को इन फ्री रेडिकल्स से होने वाले लगभग सभी नुकसानों से बचाते हैं।
तुलसी त्वचा की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है, जिससे त्वचा युवा और चमकदार बनी रहती है। यह त्वचा को हाइड्रेट करती है और उसकी इलास्टिसिटी बनाए रखती है। नियमित तुलसी का सेवन या उपयोग त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करता है।
क्या हैं तुलसी के 5 विशेष प्रकार?
भारत में जहां घर-घर में तुलसी होता है और स्वास्थ्य व आध्यात्मिक दृष्टि से जिसे इतना महत्वपूर्ण माना जाता है, उस तुलसी के प्रकार के बारे में बहुत काम लोगों को पता होता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद उपयोगी माने जाने वाले तुलसी पाँच प्रकार के होते हैं - राम तुलसी, श्याम तुलसी, बन तुलसी, नींबू तुलसी और विष्णु तुलसी।
राम तुलसी : अक्सर हमारे घरों में पायी जाने वाली तसली जिसके पौधे की पत्तियां हरी होती हैं, उसे राम तुलसी के नाम से जानते हैं । इसकी पत्तियां हल्की मिठास भरी होती है।
श्याम तुलसी : श्यामा तुलसी के पत्तों का रंग काला या फिर बैंगनी होता है। इसमें कफनाशक गुण होते हैं। यही कारण है कि इसे दवा के रूप में अधिक उपयोग में लाया जाता है।
बन तुलसी : इसे घर में नहीं लगाते इसीलिए इसे जंगली तुलसी या बन-तुलसी भी कहते हैं। इसमें जबरदस्त जहरनाशक प्रभाव पाया जाता है। इसके पौधों में वर्ष भर फूल और फल लगे रहते हैं और इसमें भर के औषधीय गुण होते हैं।
नींबू तुलसी : इस किस्म की तुलसी की पत्तियां नींबू की तरह सुगंधित होती हैं एवं इसमें विटामिन ए प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है और औषधियों में इसका खुब प्रयोग होता है।
विष्णु तुलसी : इसे श्वेत तुलसी भी कहा जाता है। इसकी पहचान यह है कि जब इसमें फुल आते हैं तब वह सफेद रंग के होते हैं और यह विशेष औषधीय गुणों के लिए विख्यात है।
तुलसी के इन पांचों प्रकारों को मिलाकर यदि इनका अर्क निकाला जाए, तो यह एक बेहद प्रभावकारी औषधि बन सकती है क्योंकि ये है एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फ्लू, एंटी-बायोटिक, एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व एंटी–डिजीज।
तुलसी की केमिस्ट्री
तुलसी में कई प्रकार के फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो इसे विशेष औषधीय गुण प्रदान करते हैं। इनमें प्रमुख हैं – यूजेनॉल, एपीजेनिन और ल्यूटोलिन, रोज़मेरीनिक एसिड, उर्सोलिक एसिड, टैनिन्स और फ्लेवोनोइड्स।
तुलसी विटामिन ए, सी, और के और कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे खनिजों से भरपूर होती हैं। इसमें प्रोटीन और फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है। तुलसी पौधे के सभी हिस्से एक एडाप्टोजेन के रूप में कार्य करते हैं।
क्या है तुलसी के उपयोग का सही तरीक़ा?
एक तो तरीक़ा ये है कि आप सीधे तुलसी के पत्ते चबा के खा लें। तुलसी के पत्तों के बारे में एक उल्टा पक्ष यह है कि उन्हें चबाया नहीं जाना चाहिए, क्योंकि उसमें पारा और लोहे की एक बड़ी मात्रा होती है, जो चबाने से निकलती है। पौधे का धार्मिक महत्व एक और कारण है जो लोगों को इसे चबाने से रोकता है।
दूसरा तरीक़ा है तुलसी की चाय या काढ़ा बनाकर लेना। मुट्ठी भर पत्तियों को पहले उबालना चाहिए और लगभग 10 मिनट तक धीमी आँच पर खदकाना चाहिए। यह प्रक्रिया पत्तियों से इसके सारे गुण निकाल लेती है। इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए, इसमें शहद या नींबू मिलाया जा सकता है।
लेकिन सबसे बढ़िया तरीक़ा है - तुलसी का अर्क। और सबसे अच्छा ये होगा कि आप सभी पाँच तुलसी के अर्क का एक साथ लें। और ऐसा ही एक बेहतरीन तुलसी अर्क है – गोयंग फ़ाईटोलाइफ़ तुलसी ड्रॉप्स जो बना है पाँच तरह के प्योर तुलसी अर्क से।
तुलसी एक ऐसा हर्ब है जो आपकी सेहत के लिए बेशुमार फ़ायदे देता है। इसलिए इसे अपनी दिनचर्या में ज़रूर शामिल करें। प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ रहने के लिए फ़ाईटोलाइफ़ तुलसी ड्रॉप्स सबसे बढ़िया तरीक़ा है। स्वस्थ रहें और जीवन का आनंद लें! 🌿