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क्या है लहसुन के सेवन का सही तरीक़ा?

क्या है लहसुन के सेवन का सही तरीक़ा?

लहसुन शायद औषधीय गुणों वाला एक प्राचीनतम पौधा है। लहसुन का औषधीय उपयोग हजारों वर्षों से विभिन्न संस्कृतियों में किया जाता रहा है।

लहसुन का सबसे पुराना रिकॉर्ड प्राचीन मिस्र से मिलता है, जहाँ इसे 1500 ईसा पूर्व के पपीरस में औषधीय गुणों के लिए सूचीबद्ध किया गया था। मिस्र के मजदूर इसे पिरामिड बनाने के दौरान ऊर्जा और सहनशक्ति बढ़ाने के लिए खाते थे।

प्राचीन ग्रीक और रोमन चिकित्सा पद्धतियों में भी लहसुन का महत्वपूर्ण स्थान था। हिप्पोक्रेट्स, जिन्हें "चिकित्सा का पिता" कहा जाता है, ने लहसुन का उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया था।

भारत और चीन की प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों में भी लहसुन का विशेष महत्व रहा है। आयुर्वेद और पारंपरिक चीनी चिकित्सा में लहसुन का उपयोग संक्रमण, सूजन, पाचन विकार और हृदय रोगों के उपचार के लिए किया जाता था। मध्य युग में, लहसुन को यूरोप में प्लेग जैसी बीमारियों से बचाव के लिए इस्तेमाल किया गया था। लोग इसे अपनी सुरक्षा के लिए गले में लटकाते थे या खाते थे।

19वीं और 20वीं सदी में, लहसुन के औषधीय गुणों पर वैज्ञानिक अनुसंधान शुरू हुआ। लुई पाश्चर ने 1858 में लहसुन के एंटीबैक्टीरियल गुणों की पुष्टि की। विश्व युद्धों के दौरान, लहसुन को "रूसी पेनिसिलिन" कहा जाता था और इसका उपयोग घावों के इलाज के लिए किया गया था।

लहसुन का यह समृद्ध औषधीय इतिहास हमें यह बताता है कि यह एक अत्यंत मूल्यवान प्राकृतिक औषधि है, जो प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती आ रही है। कहीं आप इससे वंचित तो नहीं? क्या है इसे लेने का सही तरीक़ा? क्या हैं टॉप बेनेफ़िट्स? - सबकुछ जानेंगे इस ब्लॉग में।

दुनिया भर में लहसुन की 450 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। प्रत्येक 100 ग्राम लहसुन आपको लगभग 150 कैलोरी, 33 ग्राम कार्ब्स, 6.36 ग्राम प्रोटीन प्रदान करेगा। लहसुन विटामिन बी1, बी2, बी3, बी6, फोलेट, विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और जिंक से भी भरपूर होता है। लहसुन में प्रचुर मात्रा में मौजूद सल्फर इसे एक पावरफुल एंटीबायोटिक बनता है।

लहसुन में औषधीय गुणों का ख़ज़ाना है। इस ब्लॉग में हम इसके टॉप-5 गुणों की बात करेंगे

1. डायबीटीज़ में बेहद प्रभावी
डायबीटीज़ के लिए लहसुन बड़ा गुणकारी है। इसका कारण है - लहसुन में मौजूद एलिसिन, जो शरीर में इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाने में ज़बरदस्त मदद करता हैं। यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है।

एलिसिन कोशिकाओं में ग्लूकोज के अपटेक (अवशोषण) को बढ़ाता है, जिससे रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। बेहतर लिपिड प्रोफाइल भी इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में सहायक होता है।

फ्री रेडिकल्स से कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है। एलिसिन शरीर में फ्री रेडिकल्स को भी निष्क्रिय करने में मदद करते हैं।

2. कार्डीओवेस्कूलर हेल्थ के लिए फ़ायदेमंद
लहसुन को हार्ट-हेल्थ के लिए वरदान माना जाता है क्योंकि इसमें पाए जाने वाले एलिसिन में नीचे दिए गए 6 विशेष गुण होते हैं:

लहसुन खाने से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) का स्तर कम होता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) का स्तर बढ़ता है। लहसुन का नियमित सेवन उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

लहसुन में एंटीकोआगुलेंट गुण होते हैं, जो रक्त को पतला करते हैं और रक्त के थक्के बनने से रोकते हैं। इससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।

लहसुन में पाए जाने वाले तत्व रक्त के प्रवाह को भी सुधारते हैं और धमनियों को लचीला रखते हैं, जिससे स्ट्रोक का जोखिम कम होता है। इसके एंटीऑक्सिडेंट गुण शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं और दिल की बीमारियों से बचाते हैं।

लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो हृदय की धमनियों में इंफ़्लेमेशन को कम करते हैं और दिल की बीमारियों का खतरा घटाते हैं।

3. इम्यूनिटी बढ़ाने वाला 
लहसुन का सेवन इम्यूनिटी को मजबूत करने में भी मदद करता है।

लहसुन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाया जाता है। इससे शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है। लहसुन में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं।

लहसुन में विटामिन सी, विटामिन बी6, और मैंगनीज जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक होते हैं। लहसुन शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है और शरीर स्वस्थ रहता है।

लहसुन का एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करता है। लहसुन का नियमित सेवन सर्दी, खांसी और अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं से बचाव करता है और इनसे जल्दी उबरने में मदद करता है।

लहसुन को नेचुरल एंटीबायोटिक माना जाता है, जो संक्रमणों से लड़ने और शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है।


4. पावरफुल एंटी-इंफ़्लेमेट्री
लहसुन में ज़बरदस्त एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो इसे एक पावरफुल नेचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट बनाते हैं।

लहसुन में पाया जाने वाला अलिसिन सूजन को कम करने में मदद करता है। अलिसिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट एजेंट भी है। लहसुन प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकाइन्स के उत्पादन को नियंत्रित करता है। साइटोकाइन्स वे प्रोटीन होते हैं जो इंफ़्लेमेशन को बढ़ावा देते हैं। लहसुन इन साइटोकाइन्स के उत्पादन को कम करके इंफ़्लेमेशन को नियंत्रित करता है।

लहसुन में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो उन एनजाइम्स की गतिविधि को कम करते हैं जो इंफ़्लेमेशन का कारण बनते हैं। इसीलिए लहसुन का सेवन जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत प्रदान करता है, खासकर ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी स्थितियों में।

इन सभी कारणों से, लहसुन को एक सुपर इंफ्लेमेटरी एजेंट माना जाता है। इसका नियमित सेवन सूजन से संबंधित विभिन्न समस्याओं से बचाने और उनका उपचार करने में मदद कर सकता है।


5. ओवर-ऑल हेल्थ व एंटी-एजिंग
लहसुन का एलिसिन संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। नियमित सेवन से लहसुन कई बीमारियों से बचाव में मदद करता है। एलिसिन त्वचा को बेहतर ढंग से काम करने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है। यह आपके स्कैल्प और बालों के लिए भी फायदेमंद है। एलिसिन में बलवधर्नकारी गुण (invigorating properties) होता है।

लहसुन को एंटी-एजिंग (बुढ़ापे को धीमा करने) में भी बहुत उपयोगी माना जाता है। इसका एक बड़ा कारण है कि लहसुन में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं। फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज करते हैं। लहसुन का सेवन फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय करता है, जिससे त्वचा और शरीर के अन्य अंगों पर उम्र का प्रभाव कम होता है।

दूसरा बड़ा कारण है कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा। लहसुन में विटामिन सी पाया जाता है, जो कोलेजन के उत्पादन में मदद करता है। कोलेजन त्वचा को लचीला और मजबूत बनाता है, जिससे झुर्रियों और बारीक रेखाओं की समस्या कम होती है, स्किन में ईलैस्टिसिटी बढ़ती है और स्किन जवाँ दिखता है।

इंफ़्लेमेशन को कम करके भी लहसुन त्वचा को स्वस्थ और जवां बनाए रखने में मदद करता है। लहसुन शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे त्वचा की चमक और स्वास्थ्य बेहतर होता है। अलिसिन यौगिक त्वचा की कोशिकाओं की मरम्मत और पुनर्जीवन में मदद करता है, जिससे त्वचा का स्वास्थ्य बेहतर होता है और उम्र बढ़ने के लक्षण कम होते हैं।

लहसुन का सेवन शरीर के रक्त परिसंचरण को भी सुधारता है, जिससे त्वचा को पर्याप्त पोषण और ऑक्सीजन मिलता है। इससे त्वचा की गुणवत्ता में सुधार होता है और वह अधिक जवां और चमकदार दिखती है।

क्या है लहसुन को लेने का सही तरीक़ा?
लहसुन का सेवन आप उपर बताए गए हेल्थ बेनेफ़िट्स के लिए ज़रूर करना चाहेंगे। लेकिन इसके लिए इसे लेने का तरीक़ा सही होना चाहिए। लहसुन के अंदर औषधीय गुण उसके पाए जाने वाले एक्टिव कम्पाउंड एलिसिन में होता है। इसलिए लहसुन लेने का सही तरीक़ा जानने से पहले एलिसिन के निर्माण की प्रक्रिया को समझना ज़रूरी है।

लहसुन में दो घटक हैं – एलिनेज और एलीन । एलिनेज लहसुन के अंदर पाया जाने वाला एक एंज़ायम है। जब फ़्रेश लहसुन को चौप या क्रश किया जाता है तो ये एलिनेज एलीन को ‘एलिसिन’ में कन्वर्ट कर देता है। और ऐसे होता है एलिसिन का निर्माण।

लेकिन एलिसिन काफी अन-स्टेबल होता है और यही कारण है कि यह निर्माण के तुरंत बाद विघटित या डीग्रेड हो जाता है। अब यदि आप एलिसिन का पूरा फ़ायदा लेने चाहते हैं तो सबसे अच्छा तरीक़ा है कि आप इसे छिल कर कच्चा चबा जायें। क्योंकि जब आप इसे कच-कच करके चबाएँगे तो इसके अंदर मौजूद एलिनेज एलीन को ‘एलिसिन’ में कन्वर्ट करेगा और उसे आप तुरंत निगल जाएँगे।

लेकिन कच्चे लहसुन खाने में हैं ढ़ेर सारी दिक़्क़तें। पहली बात तो ये कि आप इस प्रक्रिया से लहसुन के ज़्यादा से ज़्यादा 2-4 कलियाँ खा सकते हैं और उससे आपको उतना एलिसिन शायद ना मिल सके। दूसरी बात ये कि उसे खाने के बाद आपको एसिडीटी, जलन, मुख-दुर्गंध व डिस्कम्फ़र्ट का सामना करना पड़ेगा जो आप बिल्कुल नहीं चाहेंगे।

दूसरा तरीक़ा है लहसुन का इस्तेमाल खाना पकाने में और अपने व्यंजनों में किया जाए – जो हम करते भी हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में एलिसिन काफी हद तक डिग्रेड हो चुका होता है और हमें जो मिलता है वो ज़्यादा करके स्वाद, फ़्लेवर, ज़ायक़ा और ख़ुशबू ही होता है।

इसीलिए, जो बेहतर तरीक़ा है लहसुन से बने एलिसिन को लेने का वो है – इसका सॉफ़्ट-जेल कैपस्युल। इस सप्पलेमेंट का नाम है ‘गोयंग गारलाइट’ जिसमें एलिसिन है स्टेबिलाइज फ़ॉर्म में। ताकि आप इस हर दिन बड़ी आसानी से ले सकें। इसमें बर्पिंग, डिस्कम्फ़र्ट व मुख-दुर्गंध जैसी कोईं परेशानी नहीं है और साथ ही यह कच्चे लहसुन से भी किफ़ायती है।

कुल मिलाकर, लहसुन एक प्राकृतिक वरदान है जो न केवल हृदय स्वास्थ्य, इम्यूनिटी, और इंफ़्लेमेशन को कम करने में मदद करता है, बल्कि एजिंग को भी स्लो-डाउन करता है, जिससे यह हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए एक अमूल्य औषधि साबित होता है। यदि इसका सेवन सही तरीक़े के किया जाए तो लहसुन एक हेल्थ-गार्ड का काम कर सकता है।

Written By : Dr Rajesh Singh

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Comments
6 Aug 2024
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6 Aug 2024
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Dr.Suresh Kumar Chunbouk,
Najafgarh Delhi
7 Aug 2024
लहसुन के बारे बहुत ही अच्छी जानकारी आप ने दिया , लहसुन के क्या क्या फायदे हैं आप ने अपने ब्लोग के माध्यम से बताया  
मैं आदणीय डॉ. राजेश सिंह जी धन्यवाद करता हूँ