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क्या है एसिडीटी से बचने का नेचुरल तरीक़ा?

क्या है एसिडीटी से बचने का नेचुरल तरीक़ा?

आज के इस मॉडर्न लाइफ़स्टाइल और इंस्टैंट-फ़ूड के जमाने में एसिडिटी, ब्लोटिंग और पाचन व गट की समस्याएँ आम हो गई हैं।

एसिडिटी या पेट से संबंधित समस्याओं को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि ये शरीर की आंतरिक हेल्थ-कंडिशन का संकेत हो सकती हैं। अगर बार-बार एसिडिटी होती है, तो यह पेट में अल्सर, गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) या अन्य गंभीर पाचन समस्याओं का संकेत हो सकता है।

गट समस्याओं के कारण ऑटोइम्यून रोग भी हो सकते हैं
लीकी गट सिंड्रोम होने पर जब गट की दीवारों में छिद्र हो जाते हैं, तो बैक्टीरिया और टॉक्सिन्स रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं। यह इम्यून सिस्टम को इनवेडर्स के खिलाफ लड़ने के लिए उत्तेजित करता है, जिससे शरीर में ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया हो सकती है।

गट में अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के बीच संतुलन गड़बड़ाने से इम्यून सिस्टम में असामान्यता आ सकती है, जो ऑटोइम्यून रोग का कारण बन सकती है। साथ ही यदि गट में पोषक तत्वों का अवशोषण सही से नहीं हो पाता, तो इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे ऑटोइम्यून रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

लंबे समय तक गट में इंफ़्लेमेशन बनी रहने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और यह खुद की कोशिकाओं पर हमला करने लगता है, जिससे ऑटोइम्यून रोग उत्पन्न हो सकता है।

इन समस्याओं का समय पर इलाज न करने पर यह स्थिति और बिगड़ सकती है, जिससे आंतों में इंफ़्लेमेशन, रक्तस्राव या कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। लगातार होने वाली एसिडिटी के तकलीफ़ का कारण या तो पेट में एसिड की अधिकता होती है या फिर एसिड का लेवल काफ़ी कम होता है।

पेट में हाइ-एसिड आपके सीने में जलन, एसिड रिफ्लक्स और अल्सर का कारण बन सकता है। लेकिन यदि एसिड का स्तर काफ़ी कम हो जाए तो भोजन पचाने की आपकी क्षमता को ख़राब कर सकता है। लेकिन चाहे वो हाइ-एसिड हो या लो-एसिड, दोनों के लक्षण कमोबेश एक जैसे हैं - सीने में जलन, ब्लोटिंग, इंफ़्लेमेशन, अपच, पेट दर्द, भूख न लगना इत्यादि।

ऐसे में ज़्यादातर लोग अक्सर एंटासिड्स लेते हैं। दुर्भाग्य से डॉक्टर यह जांच नहीं करते कि आप पेट में एसिड की अधिकता से पीड़ित हैं या कमी से। और अधिकांश लोग तो डॉक्टर की सलाह के बिना भी एंटासिड लेते रहते हैं, इस बात से बिल्कुल अंजान कि यह उनके लिए काफ़ी नुक़सानदेह हो सकता है।

एंटासिड के दुष्परिणाम काफ़ी गम्भीर हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि आख़िर क्यों एंटासिड्स का ज़्यादा इस्तेमाल आपके स्वास्थ्य के लिए इतना ख़तरनाक है।

एंटासिड्स के खतरे और दुष्प्रभाव
एंटासिड्स का अत्यधिक या लंबे समय तक उपयोग कुछ गंभीर खतरों और दुष्प्रभावों का कारण बन सकता है। एंटासिड्स के अत्यधिक सेवन से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है, खासकर मैग्नीशियम, कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर में। इससे हड्डियों में कमजोरी, किडनी स्टोन और किडनी की कार्यक्षमता में कमी जैसे समस्याएं हो सकती हैं।

एंटासिड्स का लगातार सेवन पेट की सामान्य कार्यप्रणाली को बाधित कर सकता है, जिससे पाचन तंत्र में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, इन दवाओं के सेवन से पेट में गैस, इंफ़्लेमेशन और डायरिया जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

एंटासिड्स के दीर्घकालिक उपयोग से शरीर में एसिड का उत्पादन कम हो सकता है, जिससे विटामिन बी12 की कमी हो सकती है, जो कि रक्ताल्पता (एनीमिया) और तंत्रिका तंत्र के विकारों का कारण बन सकता है।

एंटासिड में कैल्शियम कंपाउंड होते हैं और रक्तप्रवाह में कैल्शियम की अधिकता प्लाक निर्माण को तेज कर सकती है, जिससे अनियमित दिल की धड़कन हो सकती है।

इसलिए, एंटासिड्स का सेवन चिकित्सक की सलाह के बिना बिल्कुल नहीं करना चाहिए। यदि आपको बार-बार एसिडिटी की समस्या होती है, तो उसके लिए नेचुरल उपाय हैं।

क्या है एसिडीटी का नेचुरल उपाय 
एसिडिटी की समस्या को जड़ से ख़त्म करने के लिए कुछ ऐसे प्राकृतिक उपचार हैं, जो बिना किसी दुष्प्रभाव के बेहद प्रभावी होते हैं। कुछ ऐसे हर्ब्स और मसाले हैं जो हमारे रसोई या किचेन में भी मौजूद होते हैं, एसिडिटी और पाचन समस्याओं के लिए ज़बरदस्त कारगर होते हैं। ऐसे ही तीन बहुत ही ख़ास हर्ब्स या मसालों के बारे में जानेंगे हम इस ब्लॉग में। ये ख़ास तीन हैं – सौंफ, अजवाइन और धनिया

सौंफ
फनेल सीड या सौंफ भारतीय किचेन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इन्हें भोजन के बाद मुखवास के रूप में भी खाया जाता है। सौंफ का उपयोग प्राचीन काल से ही आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जा रहा है, विशेष रूप से पाचन तंत्र को सुधारने के लिए।

सौंफ में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व होते हैं, जैसे कि फाइबर, विटामिन सी, विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन, और मैग्नीशियम। ये सभी पोषक तत्व शरीर के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं, लेकिन खासकर पाचन तंत्र के लिए सौंफ बहुत ही लाभकारी होती है।

सौंफ में मौजूद तत्व पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यह आंतों की मूवमेंट को सुचारु करता है, जिससे कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। सौंफ गैस्ट्रिक एंजाइम्स के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं, जिससे भोजन का पाचन तेजी से और सही तरीके से होता है।

इसके अलावा, सौंफ के बीजों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो आंतों में हानिकारक बैक्टीरिया के विकास को रोकते हैं और आंतों के इंफ़्लेमेशन को कम करते हैं। सौंफ का सेवन एसिडिटी को भी कम करता है, जो कि पाचन तंत्र की सबसे आम समस्याओं में से एक है। सौंफ का सेवन एसिडिटी को न्यूट्रलाइज करने में सहायक होता है, जिससे पेट में जलन और दर्द से राहत मिलती है।

इतना ही नहीं सौंफ में मौजूद एसेंशियल आइल हमारे पेट के मसल्स को रिलैक्स करते हैं, जिससे पेट दर्द, ब्लोटिंग और ऐंठन जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। इसके अलावा, सौंफ का सेवन भूख को भी बढ़ाता है, जो कि पाचन तंत्र के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक है।


अजवाइन
अजवाइन, को थाइमोल सीड्स के नाम से भी जाना जाता है। हमारे भारतीय किचेन में पाया जाने वाले ये छोटे-छोटे बीज अपने तीखे और मसालेदार स्वाद के साथ-साथ अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाने जाते हैं। विशेष रूप से पाचन तंत्र के लिए, आयुर्वेद में अजवाइन को ज़बरदस्त गुणकारी माना गया है।

अजवाइन में थाइमोल नामक एक प्रमुख कंपाउंड होता है, जो पाचन तंत्र को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। थाइमोल पेट में गैस्ट्रिक जूस और एंजाइम्स के उत्पादन को उत्तेजित करता है, जिससे भोजन का पाचन तेजी से होता है। इससे खाना आसानी से टूटता है और पोषक तत्वों का अवशोषण भी बेहतर होता है।

अजवाइन हमारे पेट में एसिड के उत्पादन को नियंत्रित करते हैं और एसिडिटी के कारण होने वाली जलन और दर्द से राहत दिलाते हैं। अजवाइन का सेवन गैस की समस्या को दूर करने में भी सहायक होता है। अजवाइन पेट में गैस्ट्रिक गैस के निर्माण को कम करते हैं और पहले से मौजूद गैस को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसके अलावा, अजवाइन अपच, पेट दर्द और इंफ़्लेमेशन जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में भी कारगर होते हैं।


धनिया
धनिया भी हमारे भारतीय किचेन में ज़रूर मौजूद होता है। पाचन तंत्र के लिए धनिया बहुत गुणकारी है।
ख़ास कर एसिडिटी को कम करने के लिए धनिया का उपयोग अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। चाहे वो पेट में एसिड का स्तर बढ़ जाने पर जलन, खट्टी डकारें और कभी-कभी पेट दर्द की समस्या हो या फिर पेट में एसिड कम बनने से होने वाली समस्यायें हों - धनिया इन समस्याओं को कम करने में बेहद प्रभावी है।

धनिया में नैचुरल एंटी-एसिडिक गुण होते हैं, जो पेट में एसिड के उत्पादन को संतुलित करने में मदद करते हैं। ये पेट के पीएच स्तर को भी नियंत्रित करते हैं, जिससे एसिडिटी के लक्षणों में राहत मिलती है। धनिया के बीजों का सेवन शरीर में शीतलता प्रदान करता है। यह पेट की जलन को शांत करता है और एसिडिटी से होने वाले दर्द और असुविधा को कम करता है।

धनिया के बीज पाचन एंजाइमों के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं, जिससे भोजन का पाचन तेजी से और सही तरीके से होता है। जब भोजन सही से पच जाता है, तो पेट में गैस और एसिड का निर्माण कम होता है, जो एसिडिटी को रोकने में सहायक होता है।

धनिया में शरीर से टॉक्सिन को निकालने का गुण होता है। यह पेट को साफ और स्वस्थ रखता है, जिससे एसिडिटी की समस्या से बचाव होता है। धनिया में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो पेट के इंफ़्लेमेशन और जलन को कम करते हैं।

एसिडिटी और पाचन समस्याओं के लिए सौंफ, अजवाइन और धनिया के बेशुमार औषधीय गुणों के बारे में तो हमने जान लिए। अब सवाल ये उठता है कि इसका सेवन कैसे करें? क्या है इसे हर दिन लेने का आसान और किफ़ायती तरीक़ा?

एक तरीक़ा तो है कि आप धनिया, सौंफ और अजवाइन को चबा कर खा जायें या फिर उन्हें पानी में भिगो कर रखें और फिर खायें। लेकिन ऐसा शायद आप एक-दो दिन कर सकते हैं। यदि हर दिन ऐसा करना हो तो ज़्यादातर लोगों के लिए शायद यह सम्भव नहीं होगा।

इसका एक आसान और किफ़ायती तरीक़ा है ‘गोयंग का डाइजेस्ट’ ड्राप्स जिसमें हैं - सौंफ, अजवाइन और धनिया वो भी बिल्कुल नेचुरल फ़ॉर्म में और हाइ-कॉन्सेंट्रेशन में। आपको इस ड्रॉप की कुछ बूँदें सिर्फ़ अपने पीने के पानी में टपका देना है और आप पा सकते हैं सौंफ, अजवाइन और धनिया के सारे हेल्थ बेनेफ़िट्स।

पेट से संबंधित समस्याएं न केवल पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं बल्कि पूरे शरीर के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए, एसिडिटी या पेट की समस्याओं को नजरअंदाज न करें। जितना हो सके प्राकृतिक समाधान लें और साथ ही, स्वस्थ आहार और जीवनशैली अपनाकर इन समस्याओं से बचें।

Written by : Dr Rajesh Singh

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Comments
13 Aug 2024
बेहतरीन जानकारी सर् - धन्यवाद 🙏
9 Sep 2024
For Acidity home remedy
Sailabala  Nayak