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पेन-किलर के ख़तरों से कैसे बचें?

पेन-किलर के ख़तरों से कैसे बचें?

क्या आप भी अक्सर लेते हैं पेन-किलर दवाएँ? यदि हाँ - तो हो जाइए सावधान।

आज के समय में लगभग हर किसी को कहीं ना कहीं, कभी ना कभी दर्द की परेशानी ज़रूर होती है। सर दर्द (हेडेक), ज्वाइंट पेन, मसल-पेन, बॉडी पेन, कमर का दर्द, कंधे का दर्द, गर्दन व सर्वाइकल पेन, घुटने का दर्द और ना जाने कितने प्रकार के दर्द से लोग जूझ रहे होते हैं। और ये दर्द अब हर उम्र के लोगों को होते हैं

आख़िर क्या है दर्द की वजह?
दर्द आजकल अधिक सामान्य क्यों होता जा रहा है? पहले की तुलना में अब दर्द ज़्यादा क्यों होने लगे हैं? इसके कई कारण हो सकते हैं। ये कारण आधुनिक जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियों की कमी, मानसिक तनाव, और बुरी आदतों से जुड़े हो सकते हैं।

आजकल के प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में जहां हर चीज़ की डेडलाइन है वहाँ काम का तनाव होना काफी लाज़मी है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि अवसाद और चिंता, शारीरिक दर्द को बढ़ा सकती हैं। तनाव और चिंता से मांसपेशियों में तनाव और दर्द हो सकता है।

संतुलित आहार की कमी और जंक फूड का अधिक सेवन शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित कर देता है, जिससे शरीर की मांसपेशियां और जोड़ों में दर्द होने लगता है। पर्याप्त नींद न मिलने से शरीर को सही ढंग से आराम नहीं मिलता, जिससे थकान और दर्द की समस्या हो सकती है।

आज के इस डिजिटल युग में हम सब डिजिटल डिवाइस से लगभग बंधे हुए हैं और लगातार स्क्रीन पर देख रहे होते हैं। मोबाइल और कंप्यूटर का अत्यधिक उपयोग गर्दन, पीठ और कंधों में दर्द का कारण बन रहा है। टेक्स्ट नेक सिंड्रोम इसका एक उदाहरण है।

बढ़ते वजन के कारण जोड़ों पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे जोड़ों का दर्द अधिक सामान्य हो गया है। मधुमेह, गठिया, और अन्य पुरानी बीमारियाँ भी दर्द का कारण बन सकती हैं। नियमित व्यायाम की कमी भी दर्द का कारण हैं। और साथ ही ग़लत तरीक़े से किए जाने वाले वर्क-आउट या जिम-इंजरी भी दर्द का कारण हो सकते हैं।

कारण चाहे जो भी हो, जब दर्द होता है तो व्यक्ति किसी भी तरह से उस दर्द से छुटकारा पाना चाहता है। और उस दर्द के निवारण के लिए ज़्यादातर लोक अक्सर पेन-किलर दवाओं का इस्तेमाल करते हैं जिनका उनके स्वास्थ्य पर बेहद ख़तरनाक प्रभाव पढ़ता है।

और आजकल लोग बात-बात पर पेन-किलर ले लेते हैं। कुछ डॉक्टर भी धड़ल्ले से पेन-किलर लिखते हैं और कुछ लोग तो बिना डॉक्टर के सुझाव के भी बेधड़क पेन-किलर खाते रहते हैं। इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हमारे देश में दर्द निवारक (पेन किलर) का मार्केट साइज़ लगभग 4,200 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा है, जिसमें क्रीम, जेल, स्प्रे और बाम जैसे सभी प्रकार के प्रॉडक्ट्स शामिल हैं।

इन दर्द-निवारक दवाओं (painkillers) का उपयोग दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है, लेकिन इनका लम्बे समय तक उपयोग स्वास्थ्य पर बेहद हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। इनका दुष्परिणाम शायद तुरंत पता ना चले लेकिन कुछ महीने या सालों में शरीर पर इसका असर दिखने लगता है। ये दुष्परिणाम कई प्रकार के और अलग-अलग अंगों पर हो सकते हैं।

आंतरिक अंगों पर बुरा प्रभाव
यकृत (लिवर) को नुकसान : पेरासिटामोल (Paracetamol) जैसी दर्द निवारक दवाएं अधिक मात्रा में लेने पर लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं।
गुर्दे (किडनी) को नुकसान : इबुप्रोफेन (Ibuprofen) और नेप्रोक्सेन (Naproxen) जैसी NSAIDs (Non-Steroidal Anti-Inflammatory Drugs) का लम्बे समय तक उपयोग करने से गुर्दे की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है और गुर्दे की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

पेट और आंतों पर प्रभाव
गैस्ट्रिक समस्याएं : NSAIDs का लम्बे समय तक उपयोग पेट और आंतों में अल्सर, रक्तस्राव और सूजन पैदा कर सकता है।
अपच और एसिडिटी : दर्द निवारक दवाएं पेट में एसिड की मात्रा बढ़ा सकती हैं, जिससे अपच और एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

हृदय पर प्रभाव
हृदय रोगों का खतरा : कुछ दर्द निवारक दवाएं, जैसे कि COX-2 इनहिबिटर्स, हृदय रोगों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकती हैं।
उच्च रक्तचाप : NSAIDs का नियमित उपयोग रक्तचाप को बढ़ा सकता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

लत लगना और मानसिक स्वास्थ्य
आदत बनना : ओपिओइड (Opioids) जैसे दर्द निवारक दवाएं लत लगने की प्रवृत्ति रखती हैं, जिससे व्यक्ति को इन पर निर्भरता हो सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव : दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जैसे कि अवसाद और चिंता।

कुछ अन्य प्रभाव
एलर्जी : कुछ लोगों को दर्द निवारक दवाओं से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर रैशेज, खुजली, और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं : दर्द निवारक दवाओं का अन्य दवाओं के साथ उपयोग करने पर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि रक्त का पतला होना आदि।


तो क्या करें? कैसे बचें पेन-किलर के नुक़सान से?
कुछ लोगों को तो सम्भावित नुक़सान के बारे में मालूम होने बावजूद भी पेन-किलर लेना ही पड़ता है क्योंकि उनको कोई दूसरा विकल्प नहीं नज़र आता उस पीड़ा या दर्द से छुटकारा पाने का। ऐसे में सवाल यह उठता है कि - फिर क्या करें? यदि पेन किलर ना लें तो क्या लें?

पेन-किलर दवाओं के विकल्प के रूप में कई प्राकृतिक और वैकल्पिक उपचार विधियाँ उपलब्ध हैं। ये तरीके न केवल दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं, बल्कि इनके उपयोग से दवाओं के संभावित दुष्प्रभावों से भी बचा जा सकता है।

फिजियोथेरापी, क्लिंजिंग थेरापी, मालिश (मसाज), योग और ध्यान, एक्यूपंक्चर, हर्बल उपचार, गरम और ठंडी सिकाई आदि ऐसे कई तरीक़े हैं जिनका उपयोग करने से दवाओं के संभावित दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि दर्द-निवारण के लिए नोनी एक ऐसा विकल्प है जो बेहद असरदार होने के साथ-साथ पूरी तरह से नैचुरल भी है जिससे आपको कोई दुष्परिणाम होने की सम्भावना नहीं है।


नोनी एक नैचुरल और असरदार पेन किलर
नोनी (Noni) एक प्राकृतिक फल है जिसे मोरिंडा सिट्रिफोलिया (Morinda citrifolia) के नाम से भी जाना जाता है। यह फल अपनी औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। ख़ास कर नोनी को एक प्रभावी दर्द-निवारक के रूप में मान्यता प्राप्त है। आइए, समझें कि क्या है ऐसा ख़ास नोनी में कि यह पेन-रिलीफ़ में इतना असरदार काम करता है। कैसे नोनी किसी भी तरह के दर्द को नैचुरल तरीक़े से कम करने में मदद करता है?

एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण : नोनी में एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) गुण होते हैं जो शरीर में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। सूजन कई प्रकार के दर्द का प्रमुख कारण होती है, जैसे कि गठिया, मांसपेशियों में दर्द, और जोड़ों का दर्द। नोनी में मौजूद सक्रिय यौगिक, जैसे कि स्कोपोलेटिन (scopoletin) और डैम्नाकैंथल (damnacanthal), सूजन को कम करने और दर्द को राहत देने में सहायक होते हैं।

एंटीऑक्सिडेंट्स की प्रचुरता : नोनी में विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स की प्रचुरता होती है जो शरीर के फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय करने में मदद करते हैं। फ्री रेडिकल्स शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ाते हैं, जो विभिन्न प्रकार के दर्द और सूजन का कारण बनते हैं। एंटीऑक्सिडेंट्स इन फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय करके दर्द को कम करते हैं और शरीर को स्वस्थ रखते हैं।

एनाल्जेसिक प्रभाव : नोनी का एनाल्जेसिक (analgesic) प्रभाव भी दर्द को कम करने में मदद करता है। एनाल्जेसिक प्रभाव का मतलब होता है कि यह शरीर के उन हिस्सों में दर्द की अनुभूति को कम करता है जहां दर्द महसूस होता है। नोनी में कुछ ऐसे यौगिक पाए जाते हैं जो दर्द संवेदी तंत्रिकाओं (pain sensory nerves) की गतिविधि को कम कर देते हैं, जिससे दर्द की अनुभूति में कमी आती है।

सेरोटोनिन और मेलाटोनिन का उत्पादन : नोनी सेरोटोनिन और मेलाटोनिन जैसे हार्मोनों के उत्पादन को भी बढ़ाता है। सेरोटोनिन मूड को सुधारने और तनाव को कम करने में मदद करता है, जबकि मेलाटोनिन नींद को सुधारने में सहायक होता है। जब शरीर में तनाव कम होता है और नींद बेहतर होती है, तो दर्द की अनुभूति भी कम हो जाती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता का सुधार : नोनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी सुधारता है। जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, तो वह सूजन और दर्द को प्रभावी तरीके से नियंत्रित कर सकती है। यह प्राकृतिक तरीके से दर्द को कम करने में मदद करता है और शरीर को जल्दी ठीक होने में सहायता करता है।

इसलिए नोनी सही मायने में एक प्रभावी नैचुरल पेन-किलर या दर्द निवारक है जो इनफ़्लेमेशन को कम करता है, एंटीऑक्सिडेंट्स प्रदान करता है, एनाल्जेसिक प्रभाव दिखाता है, सेरोटोनिन और मेलाटोनिन के स्तर को बढ़ाता है और साथ ही इम्यून सिस्टम को मजबूत व सशक्त बनाता है। ये सारे गुण मिलकर नोनी को एक बहुत ही प्रभावी और सुरक्षित विकल्प बनाते हैं - दर्द को कम करने के लिए।

अब आप ये सोचेंगे कि ये नोनी आख़िर मिलेगा कहाँ? और कैसे सुनिश्चित करें कि वो नोनी प्योर, नैचुरल और प्रीमीयम क्वालिटी का है।

नोनी दक्षिण-पूर्वी एशिया और ऑस्ट्रेलिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके अलावा नोनी का स्वाद बहुत कड़वा होता है और इसकी एक अलग ही गंध होती है जिसकी तुलना आप किसी बदबूदार पनीर से कर सकते हैं। ऐसे में नोनी-फल की उपलब्धता मुश्किल है और इसका सीधा सेवन भी सम्भव नहीं है। इसलिए नोनी को सप्पलेमेंट के रूप में लिया जा सकता है। अब सवाल ये उठता हैं कि कौन सा नोनी सप्पलेमेंट लें जो प्योर भी हो और क्वालिटी के सभी मानदंडों को पूरा करता हो।

इसका जवाब है – गोयंग का ‘नोनी प्रीमीयम’ जिसमें है प्योर नोनी कॉन्सेंट्रेट बिना किसी शुगर या आर्टिफ़िशियल कलर या फ़्लेवर के। यह एक लीटर के प्रीमीयम पैक में उपलब्ध है जिसे आप प्रतिदिन इस्तेमाल कर सकते हैं।

नोनी ना सिर्फ़ आपको दर्द-निवारण में मदद करता है बल्कि नोनी के और भी कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। नोनी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, पाचन तंत्र को सुधार लाता है, वजन घटाने में सहायक है और त्वचा व हृदय स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।

नोनी में मौजूद फाइटोकेमिकल्स कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मदद कर सकते हैं। इसलिए कैंसर के इलाज या बचाव के लिए नोनी का उपयोग किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं। नोनी में एंटी-डायबेटिक गुण होते हैं जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

इस प्रकार नोनी एक बेहतरीन प्राकृतिक दर्द निवारक विकल्प है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं, जो इंफ़्लेमेशन और दर्द को कम करते हैं। नोनी का नियमित सेवन मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में राहत देता है। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के प्रभावी उपचार प्रदान करता है।

Written By : Dr Rajesh Singh

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Comments
23 Jul 2024
Thanks for this useful artical, Sir 🙏🙏