दीवाली के समय हम अपने मकान दुकान की खुब सफ़ाई करते हैं। दीवाली के समय हमारे बॉडी में भी टॉक्सिन्स की मात्रा सबसे ज़्यादा बढ़ जाती है और ऐसे में हमारे बॉडी को भी ऐसे ही सफाई की सख़्त ज़रूरत होती हैं ... यूँ कहें तो डीप क्लिंजिंग की या क्लिंजिंग थेरेपी की।
दीवाली का मतलब है स्वादिष्ट पकवान, मिठाइयाँ और जम के सेलब्रेशन। हम तले हुए पकवान, लड्डू, बर्फी, जलेबी, चकली, समोसा और ढेरों मिठाइयाँ खाते हैं। इन स्वादिष्ट चीज़ों का आनंद तो होता है, लेकिन इनमें मैदा, चीनी, घी, रंग और भर के प्रिज़र्वेटिव जैसे तत्व होते हैं जो हमारे लिवर और पाचन तंत्र पर बोझ डालते हैं। इसके अलावा, त्योहार के दौरान हम देर रात तक जागते हैं, कम नींद लेते हैं, व्यायाम छोड़ देते हैं और बाहर का खाना ज़्यादा खाते हैं। ऊपर से पटाखों का धुआँ और प्रदूषण - ये सब मिलकर हमारे शरीर में टॉक्सिन्स की भारी मात्रा बढ़ा देते हैं।
दिवाली के तुरंत बाद क्लिंजिंग थेरापी करके आप अपने बॉडी में जमा टॉक्सिन बिल्डअप को बड़े आसानी से फ़्लश आउट कर सकते हैं।