Filters
Blog options
Search
Filters
Filters
Blog options
Close

क्यों है न्युट्रीशन महिलाओं के लिए इतना ज़रूरी?

क्यों है न्युट्रीशन महिलाओं के लिए इतना ज़रूरी?

महिलाएं गृहिणी, मां, बहन और प्रोफेशनल्स के रूप में विभिन्न भूमिकाओं में अपना काम करती हैं। आज के जमाने में महिलाएं जहां पुरुषों से कदम से कदम मिला कर चल रही हैं वहीं उनकी जिम्मेदारियाँ और भी बढ़ गई हैं। घर, ऑफिस की दोहरी जिम्मेदारी, बच्चों की परवरिश, तेज लाइफ़स्टाइल उन्हें काफ़ी व्यस्त कर देता है।

ऐसे में ज़्यादातर महिलाएं अपने परिवार, बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर खाना खिलाने की पूरी कोशिश करती हैं लेकिन अपने खुद के पोषण का ख़्याल नहीं रख पाती हैं। जबकि महिलाओं के लिए पोषक तत्वों की ज़रूरत पुरुषों की तुलना में ज़्यादा होती है। लंबे समय तक हेल्दी डाइट न लेने से महिलाओं के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती हैं।

हॉर्मोन्स की वजह से महिलाओं के शरीर में हर 10 साल में बदलाव आते हैं, ऐसे में उसी अनुसार उनके पोषण तत्वों की जरूरत भी बदलती है। टीनएज, प्रेगनेंसी, पोस्ट प्रेगनेंसी, प्री मेनोपॉज और मेनोपॉज – हर स्टेज में महिलाओं के लिए न्यूट्रिशन बेहद ज़रूरी है। 60 वर्ष से अधिक आयु के महिलाओं को कुछ न्युट्रीएंट्स की और भी ज़्यादा आवश्यकता होती है। महिलाओं के शारीरिक, मानसिक, और इमोशनल स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पोषण का महत्व अत्यंत अहम है।

महिलाओं की पोषण संबंधी ज़रूरतें पुरुषों से अलग क्यों होती हैं?
पुरुषों और महिलाओं के शरीर की बनावट अलग है, उनके अंदर की प्रक्रियायें अलग हैं इसीलिए उनकी पोषण संबंधी ज़रूरतें भी अलग-अलग होती हैं। महिलाओं के शरीर में उनके जीवन के विभिन्न चरणों में बदलाव होते रहते हैं, जैसे मासिक धर्म, होर्मोनल चेंज, गर्भावस्था, और स्तनपान की अवधि, मेनोपोज इत्यादि। इन बदलावों के कारण महिलाओं की न्युट्रीशन ज़रूरतें पुरुषों की तुलना में अलग होती हैं।

उदाहरण के लिए, मासिक धर्म, प्रसव और रजोनिवृत्ति से जुड़े हार्मोनल परिवर्तनों का मतलब है कि महिलाओं में एनीमिया, ऑस्टियोपोरोसिस और विभिन्न पोषण संबंधी कमियों का खतरा अधिक होता है। इस कारण से, हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने और एनीमिया को रोकने के लिए महिलाओं के लिए अपने आहार में कैल्शियम, विटामिन डी, विटामिन बी और आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना महत्वपूर्ण है। उम्र और बच्चे पैदा करने के कारण समय के साथ महिलाओं की लीन मसल्ज़ भी कम होने लगती हैं।

यहाँ हम तीन मुख्य अंतरों की बात करते हैं।
पहला अंतर है की महिलाओं को अधिक आयरन की आवश्यकता होती है, खासकर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करने वाली मांओं को। इसके साथ ही, महिलाओं को कैल्शियम, फोलेट, और विटामिन डी की भी अधिक आवश्यकता होती है।

दूसरा अंतर है की महिलाओं को अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है, जो उनके शारीर के विभिन्न कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है।

तीसरा अंतर है की महिलाओं को अधिक विटामिन ए की आवश्यकता होती है, जो उनकी त्वचा, बाल, और नेत्रों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है।

इस प्रकार, महिलाओं के पोषण की आवश्यकताएँ पुरुषों की तुलना में अलग होती हैं और इसीलिए महिलाओं के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि वो अपने बॉडी के न्युट्रीशन का बहुत ख़्याल रखें।

महिलाओं में पोषक तत्वों की कमी के कारण:

1. आहार में कमजोरी: घर, परिवार और बच्चों का ख़्याल रखने के चक्कर में ज़्यादातर महिलाएं अपने न्युट्रीशन का ध्यान नहीं रख पाती हैं जिसमें पोषक तत्वों की कमी होती है। यह स्थिति अक्सर विभिन्न तत्वों जैसे फोलेट, आयरन, कैल्शियम, और विटामिन डी की कमी के लिए जिम्मेदार होती है।

2. गर्भावस्था : गर्भवती महिलाओं के शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है क्योंकि उनके शरीर में विकास के लिए उनके शिशु को और भी अधिक पोषण की आवश्यकता होती है। इससे कई महिलाओं को फोलेट, आयरन, और कैल्शियम की कमी हो सकती है।

3. हार्मोनल परिवर्तन : महिलाओं के हार्मोनल परिवर्तन जैसे की मासिक धर्म, गर्भावस्था, और मेनोपॉज़ के दौरान, उनके शरीर में पोषक तत्वों की आवश्यकता बढ़ जाती है। इससे वे पोषक तत्वों की कमी का सामना कर सकती हैं।

4. स्तनपान : स्तनपान करने वाली माताओं को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है ताकि वे अपने बच्चे को सही तरीके से पोषण प्रदान कर सकें। इसके अभाव में मां की स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

पोषक तत्वों की कमी के प्रभाव:

1. एनीमिया : आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है, जिससे महिलाओं की ताकत कम होती है, उन्हें थकावट और चक्कर आते हैं।

2. हड्डियों की कमजोरी: कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों की मजबूती में कमी हो सकती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

3. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: पोषक तत्वों की कमी के कारण महिलाओं को विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि स्तन कैंसर, डायबिटीज़ इत्यादि।

4. मानसिक समस्याएँ : पोषक तत्वों की कमी से महिलाओं को अवसाद, चिंता, और थकान की समस्या हो सकती है।

टॉप 6 न्युट्रीयेंट्स – ज़्यादातर महिलाओं में होती है जिनकी कमी
यहां हम बात करेंगे 6 टॉप न्युट्रीयेंट्स के बारे में, जिनके बिना महिलाओं को नहीं रहना चाहिए - लेकिन दुर्भाग्य से ज़्यादातर महिलाओं में अक्सर इन न्युट्रीयेंट्स की कमी होती है।

1. आयरन की कमी : आयरन की कमी और एनीमिया दुनिया में सबसे अधिक प्रचलित पोषण संबंधी कमी है। शरीर हीमोग्लोबिन का उत्पादन करने के लिए लोहे का उपयोग करता है, एक प्रोटीन जो रक्त प्रवाह के माध्यम से फेफड़ों से शरीर के अन्य ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है, और एनीमिया को एक विशिष्ट स्तर से नीचे हीमोग्लोबिन स्तर (प्रति डेसीलीटर 12 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन) के रूप में परिभाषित किया जाता है।

आपको इसकी आवश्यकता क्यों है? आयरन हीमोग्लोबिन का एक प्रमुख घटक है, लाल रक्त कोशिकाओं में अणु जो हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। पर्याप्त आयरन की कमी से थकान होती है और अंततः आयरन की कमी से एनीमिया होता है। यदि आपमें आयरन की कमी है तो आपको ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा और भी अधिक है।

इसे कैसे प्राप्त करें? हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे ब्रोकोली, पालक, मेथी, चौलाई की पत्तियां और सलाद में ज़्यादा आयरन कंटेंट होता है। इसके अलावा सूखे मेवे जैसे किशमिश, बादाम आदि, रेड मीट, अंडे भी लाभदायक हैं। विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थ आयरन के अवशोषण में मदद करते हैं जैसे फूलगोभी, टमाटर, सेब और संतरे।


2. कैल्शियम की कमी : कैल्शियम महिलाओं के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उन्हें सक्रिय और स्वस्थ जीवनशैली की आधारशिला प्रदान करता है।

आपको इसकी आवश्यकता क्यों है? महिलाओं को कैल्शियम की आवश्यकता होती है ताकि वे मजबूत हड्डियों को बनाए रख सकें और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम करें।

इसे कैसे प्राप्त करें? दूध कैल्शियम के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है जिसे हम सभी जानते हैं। दूध आसानी से पचने योग्य और हर समय उपलब्ध रहता है। लैक्टोज-टोलेरेंस वाले लोगों के लिए सोया दूध एक विकल्प है। दही जैसे सभी डेयरी उत्पाद कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत हैं। पनीर, बीन्स, दालें, बादाम आदि कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं। चिया बीज, खसखस और अजवाइन जैसे बीज भी कैल्शियम से भरपूर होते हैं।

3. विटामिन डी की कमी : विटामिन डी हमारे शरीर के लिए सबसे जरूरी विटामिन्स में से एक है।

आपको इसकी आवश्यकता क्यों है?  विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। यह हड्डियों को मजबूत रखने के साथ-साथ इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी मददगार होता है।
शरीर में विटामिन डी की कमी के कारण कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। महिलाओं में विटामिन डी की कमी ज्यादा देखने को मिलती है। महिलाओं में विटामिन डी की कमी के कारण हार्मोनल असंतुलन, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा रहता है। यह प्रेग्नेंट महिलाओं में प्री एक्लेम्पसिया और जेस्टेशनल डायबिटीज का कारण बन सकता है।

इसे कैसे प्राप्त करें? धूप में बैठने के अलावा, विटामिन डी से भरपूर चीजों को डाइट में शामिल करना चाहिए। इसके लिए आप अंडे, दूध, पनीर, मशरूम और मछली आदि को डाइट में शामिल कर सकते हैं और सप्लीमेंट्स ले सकते हैं।

4. फोलिक एसिड की कमी : महिलाओं के लिए फॉलिक एसिड एक ज़रूरी बी-विटामिन है। फॉलिक एसिड विटामिन बी-9 जो कोशिका विभाजन और ऊतक वृद्धि में शामिल है

आपको इसकी आवश्यकता क्यों है? फॉलिक एसिड हमारे शरीर में ऐसे एसिड बनाने का काम करता है, जो खाना पचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। हीमोग्लोबिन बनाने के लिए शरीर को फॉलिक एसिड की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए इसकी कमी से कई बार शरीर पीला पड़ जाता है। जब महिलाएं फोलिक एसिड लेती हैं तो न्यूरल ट्यूब दोष व बर्थ-डीफ़ेक्ट्स को रोका जा सकता है।

इसे कैसे प्राप्त करें? हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, बींस, ब्रोकली, मूंगफली,सी फूड और ड्राईफूट्स में अच्छी मात्रा में फॉलिक एसिड पाया जाता हैं। बादाम, अंडा, केला आदि भी फॉलिक एसिड के अच्छे स्त्रोत हैं।


5. विटामिन बी12 की कमी : विटामिन बी12 हमारे द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में प्रोटीन को बांधता है। विटामिन बी 12 एक पानी में घुलनशील विटामिन है जो आपके खून कोशिकाओं और तंत्रिका कोशिकाओं के उचित कामकाज के लिए आवश्यक है।

आपको इसकी आवश्यकता क्यों है?  विटामिन बी12 की कमी से महिलाओं में थकान, पेट में उल्टी, और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। झुनझुनी या सुन्नता विटामिन बी12 की कमी से तंत्रिका क्षति हो सकती है, जिससे झुनझुनी, सुन्नता या चुभन जैसी संवेदनाएं हो सकती हैं, खासकर हाथों और पैरों में। चूंकि रक्त कोशिकाओं को पूरा बनने के लिए विटामिन B12 आवश्यक है, इसलिए इस विटामिन की कमी से एनीमिया हो सकता है। हमें हर रोज 2.4 माइक्रोग्राम विटामिन बी 12 की जरूरत होती है

इसे कैसे प्राप्त करें? मछली, अंडा, फ़ोर्टीफ़ाइड सेरियल्स, ताजे फल और हरी पत्तीदार सब्ज़ियाँ, चुकंदर, कलरफुल सब्जियां ,मशरूम आदि से विटामिन बी 12 की प्राप्ति की जा सकती है.


6. आयोडीन की कमी : आयोडीन एक जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्व है। 10 में से 4 से अधिक महिलाओं में आयोडीन की कमी हो सकती है , जो शिशुओं में स्वस्थ मस्तिष्क के विकास के लिए गर्भावस्था में आवश्यक खनिज है।

आपको इसकी आवश्यकता क्यों है? महिलाओं में अक्सर आयोडीन की कमी देखी जाती है। विशेषकर गर्भावस्था और शिशुओं के लिए यह खतरनाक हो सकता है, जो बच्चों के मस्तिष्क विकास को प्रभावित कर सकता है। आयोडीन की कमी असमान्य थायरॉयड हार्मोन उत्पादन में असमर्थता और महिलाओं में प्रजनन समस्याओं का कारण बन सकती है।

इसे कैसे प्राप्त करें? आयोडीन का मुख्य स्रोत खाद्य पदार्थ होता है, जैसे कि नमक, सीफूड, दूध और दही। समुद्री फसलों और खाद्य आहार में भूरें अणुओं का उपयोग भी आयोडीन की भरपूर मात्रा प्रदान करता है। आयोडाइज़्ड नमक भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिसमें आयोडीन आसानी से उपलब्ध होता है।

संतुलित आहार, न्युट्रीएंट भरपूर डाइट, सही सप्पलेमेंट आपको ‘न्युट्रीयेंट डेफ़िशियेंट’ होने से बचाती हैं। ‘न्युट्रीयेंट डेफ़िशियेंट’ का यह टर्म ज्यादातर महिलाओं पर लागू होता है लेकिन यह यह ज़रूरी नहीं है कि यह आपके लिए भी सच हो। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप कवर हैं, उपर बताए गए 6 टॉप न्युट्रीयेंट्स से शुरुआत करें।

महिलाओं के लिए 6 अमेज़िंग हर्ब्स
कई हर्ब्स महिलाओं की सेहत के लिए रामबाण मानी जाती हैं। आइये जानते हैं ऐसे 6 अमेज़िंग हर्ब्स के बारे में।

1. शतावरी : यह एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है। यह एंटीऑक्सीडेंट का पावरहाउस है और प्रोटीन, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, फोलेट्स, नियासिन, थायमिन, सेलेनियम, जिंक, आयरन, मैंगनीज, कैल्शियम, अल्फा-कैरोटीन, बीटा कैरोटीन, ल्यूटिन-ज़ेक्सैन्थिन आदि पोषक तत्वों से भरपूर है।

2. सीबकथॉर्न : यह महिलाओं के लिए विशेष फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें उच्च मात्रा में विटामिन सी, विटामिन ई, बीटा कैरोटीन, और ओमेगा-7 फैटी एसिड होते हैं। यह त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाने में मदद करता है और एंटी-एजिंग गुणों को बढ़ावा देता है। इसका नियमित सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और महिलाओं को मासिक धर्म के समय राहत प्रदान करता है।

3. अशोक : महिलाओं के लिए अशोक के पेड़ की छाल अमृत मानी जाती है. क्योंकि इसकी छाल का पानी पीने से पीरियड्स में दर्द, ऐंठन और जो महिलाएं ल्यूकोरिया से परेशान हैं वह इसका उपयोग कर सकती हैं. बवासीर के रोगियों के लिए भी यह अच्छा माना जाता है.
दर्द और सूजन से राहत मिलती है। अशोक के पेड़ की छाल में एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और दर्द निवारक गुण भी होते हैं।

4. पपेन : यह एक प्राकृतिक एंजाइम है जो पपीते में पाया जाता है। पपेन महिलाओं के लिए विशेष फायदेमंद है, जो पेट समस्याओं को दूर करता है और पाचन को सुधारता है। इसका उपयोग मासिक धर्म के दर्द को कम करने में भी मदद करता है। पपेन में मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण तनाव को कम करते हैं और स्त्री स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। यह प्राकृतिक तरीके से महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करता है।

5. ब्राह्मी : यह महिलाओं के लिए गुणकारी है, जो मानसिक स्वास्थ्य को सुधारती है। इसका उपयोग ध्यान और याददाश्त को बढ़ाने में मदद करता है। ब्राह्मी में प्राकृतिक तनाव कम करने के गुण होते हैं और महिलाओं को मानसिक स्थिति में स्थिरता प्रदान करते हैं। यह महिला-स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करता है और मनोवैज्ञानिक समस्याओं को नियंत्रित करता है।

6. तुलसी : यह महिलाओं के स्वास्थ्य को संतुलित रखती है। यह उनके इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है और संक्रमण से लड़ने में सहायक होता है। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखते हैं। यह मन की स्थिति को सुधारता है और महिलाओं को स्वस्थ और उत्तेजित रखने में मदद करता है।

न्युट्रीएंट्स व हर्ब्स की इस कमी को डाइट में न्युट्रीफ़ेम जैसे मल्टी-सप्‍लीमेंट को शामिल करके पूरा किया जा सकता है। इसमें आपको RDA के अनुरूप कैल्सीयम व विटामिन-D का डेली डोज मिल जाता है। हर दिन 2 चम्मच न्युट्रीफ़ेम आपको देता है K2 सहित 47 से ज़्यादा ज़रूरी न्युट्रीएंट्स, 16 विटमिंस और ढ़ेर सारे हर्ब्स – वो भी ज़ीरो शुगर के साथ।

इन सारे हर्ब्स और न्युट्रीएंट्स का संबंध महिला-स्वास्थ्य के अलावा उनकी त्वचा, निखार, सुंदरता, एजिंग व लोंजेवीटी से भी है। इसलिए महिलाओं को अपने न्युट्रीशन का ख़ास ख़्याल रखना चाहिए। और यदि आप पुरुष हैं तो आपकी ज़िंदगी के ख़ास महिलाओं (माँ, पत्नी, दोस्त, बहन आदि) का आप ज़रूर ख़्याल रखें और उन्हें हेल्थ के प्रति जागरूक बनायें।

Wrtten by : Dr Rajesh Singh

 

Leave your comment
Comments
24 May 2024
Excellent Information